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पीडीपी में जोश भरने के लिए चुनावी मोड में आती महबूबा मुफ्ती

महबूबा मुफती कश्मीर के विकास और आम लोगों की बेहतरी से जुड़े मुद्दों को उछालने के बजाय उनकी भावनाओं को भड़का, उन्हें अपने साथ शामिल करने की अपनी पुरानी रणनीति पर काम शुरु कर रखा है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 01:46 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 01:46 PM (IST)
पीडीपी में जोश भरने के लिए चुनावी मोड में आती महबूबा मुफ्ती
पीडीपी में जोश भरने के लिए चुनावी मोड में आती महबूबा मुफ्ती

जम्मू, नवीन नवाज। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती ने हालांकि अौपचारिक रुप से चुनाव प्रचार अभियान का एलान नहीं किया है। लेकिन उन्होंने पार्टी कार्यकर्त्ताओं और अपने वोटरों को जमा करना शुरु कर दिया है। वह न सिर्फ अब वादी के विभिन्न इलाकों का दौरा कर रही हैं बल्कि विभिन्न इलाकों से आम कार्यकर्त्ताओं को अपने सरकारी निवास पर भी बुला रही हैं और उन्हें यकीन दिला रही हैं कि इस बार पीडीपी पिछले विधानसभा चुनावों से भी ज्यादा सीटें जीतेगी।

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पुरानी रणनीति पर कर रही काम

पार्टी से कई वरिष्ठ नेताओं और पूर्व विधायकों द्वारा नाता तोड़े जाने से शुरु में जिस तरह से पीडीपी अध्यक्षा हताश नजर आ रही थी, वह अब उससे उभर रही है। उन्होंने कश्मीरियों की नब्ज पर हाथ रखते हुए कश्मीर के विकास और आम लोगों की बेहतरी से जुड़े मुद्दों को उछालने के बजाय उनकी भावनाओं को भड़का, उन्हें अपने साथ शामिल करने की अपनी पुरानी रणनीति पर काम शुरु कर रखा है। इसी रणनीति के तहत वह जहां अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना कर रही हैं,वहीं भाजपा के साथ गठजोड़ के लिए माफी मांगते हुए, कह रही हैं कि यह गठजोड़ उन्हीं लोगों ने कराया था जो सत्ता में पीडीपी में शामिल हुए थे। सत्ता जाने के बाद पीडीपी छोड़ अन्य दलों में चले गए हैं।

राष्ट्रीय विमुखता की भावना को कैश करना शुरू किया

महबूबा मुफ्ती ने कश्मीरियों में राष्ट्रीय मुख्यधारा के प्रति विमुखता की भावना को भी अपने वोटों के लिए कैश करना शुरु कर दिया है। गत राेज जेएनयू प्रकरण में दायर चाजर्शीट को उन्होंने पूरी तरह कश्मीरियों के साथ जोड़ा और कहा कि वोटों के खातिर कश्मीरियों को बली का बकरा बनाया जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कश्मीर में नौजवानों के आतंकी बनने की घटनाओं को परोक्ष रुप से जायज ठहराते हुए कहा कि कश्मीर का ताकत और फौज से हल निकालने की नई दिल्ली की नीति से ही कई युवक बंदूक उठा रहे हैं। नई दिल्ली को कश्मीर में टकराव की सियासत बंद कर सुलह व समन्वय की बात करते हुए आगे बढ़ हुर्रियत समेत सभी संबधित पक्षों से बातचीत करनी होगी।

भाजपा गठबंधन के लिए पूर्व नेताओं को ठहरा रही जिम्मेदार

कश्मीर की सियासत पर नजर रखने वाले जानकार रशीद राही ने कहा कि गुटबाजी और अपने करीबियों के विरोधी खेमे से जा मिलने के बाद महबूबा मुफ्ती ने बीते एक पखवाड़े के दौरान कश्मीर में आठ से ज्यादा बैठकें की हैं। इसके अलावा उसने दक्षिण कश्मीर और सेंट्रल कश्मीर के कुछ खास हिस्सों का भी दौरा किया है। शुरुआत में जहां अपने समर्थकों और वोटरों को संबोधित करते हुए भाजपा के साथ गठजोड़ के लिए वह जिस तरह से माफी की मुद्रा में नजर आती थी, अब वैसा कुछ नहीं है। वह इस गठजोड़ का जिक्र तो करती है, लेकिन इसके लिए वह पीडीपी के कुछ पूर्व नेताओं को जिम्मेदार ठहरा रही हैं।

आगामी चुनावों में ज्यादा सीटें जीतने का दावा

अपने वोट बैंक को जमा करने के लिए वह परोक्ष रुप से अलगाववादी एजेंडे की सियासत परोसने लगी हैं और कार्यकर्त्ताओं से वर्ष 2014 के बाद पहली बार सीधा संवाद कर, उनमें जोश भरने के लिए वर्ष 2014 की तुलना में इस बार ज्यादा सीटें जीतने का दावा कर रही हैं। उनके इस दावे को नकारा भी नहीं जा सकता,क्योंकि वह भाजपा के साथ गठजोड़ और फिर गठजोड़ के टूटने को वह कश्मीर व कश्मीरियों की हिफाजत से जोड़ रही हैं। अगर उनका यह दांव चल जाता है तो वह गलत नहीं रहेंगी। 


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