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लोगों को बैखौफ मौत के घाट उतारने वाले आतंकियों पर 14 वर्षीय किशोर पड़ा भारी, एक को किया ढेर

इरफान ने आव देखा न ताव एक आतंकी की राइफल छीन ली और उसने गोली चला दी। इसमें एक आतंकी मारा गया। इमरान का यह रूप देखकर अन्य आतंकी दुम दबाकर भाग खड़े गए।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 02:52 PM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2019 12:00 PM (IST)
लोगों को बैखौफ मौत के घाट उतारने वाले आतंकियों पर 14 वर्षीय किशोर पड़ा भारी, एक को किया ढेर
लोगों को बैखौफ मौत के घाट उतारने वाले आतंकियों पर 14 वर्षीय किशोर पड़ा भारी, एक को किया ढेर

जम्मू, नवीन नवाज। आतंक के गढ़ रहे शोपियां में 14 साल का निहत्‍था जांबाज इरफान रमजान शेख घर पर हमला करने आए न केवल हथियारबंद आतंकियों से भिड़ गया बल्कि उनका ही हथियार छीनकर एक आतंकी को मौत के घाट उतार दिया और अपने भाई-बहनों और परिवार के अन्‍य सदस्‍यों की रक्षा की।

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आम लोगों पर खौफ बरपाने वाले यह आतंकी इस बालक उसका यह रुप देख थर-थर कांपने लगे और दुम दबाकर भाग खड़े हुए। आतंकियों के हमले में उसके पिता की मौत हो गई। आतंक के गढ़ में रहकर उनके लिए खौफ के पर्याय बने इस किशोर को अब दो साल बाद राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को राष्‍ट्रपति भवन में शौर्य चक्र से सम्‍मानित किया। बहुत ही कम मामले हुए हैं जब आम इंसान को इस तरह के वीरता पुरस्‍कार मिले हैं।

परिजनों के अनुसार उसे काफी मलाल रहा कि वह अपने पिता को नहीं बचा सका पर इस बात का सुकून भी कि उसने उनकी मौत का बदला ले लिया। वह अंदर से भी बहादुर है और जब वह आतंकियों से लड़ रहा था तो जानता था कि क्या हो सकता है, पर वह डरा नहीं बल्कि हथियारबंद आतंकियों से सीधा भिड़ गया।

इरफान अहमद शेख इस समय अपने जीवन के 17वें वसंत से गुजर रहा है। उसके तीन छोटे भाई-बहन और एक चचेरा भाई भी है। वह आतंकियों का मजबूत किला कहलाने वाले जिला शोपियां में इमामसाहब के पास स्थित होमनू गांव का रहने वाला है। उसके पिता मोहम्मद रमजान शेख पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के हल्का प्रधान और गांव के पूर्व सरंपच थे। वह पेशे से ठेकेदार थे। मोहम्मद रमजान शेख वर्ष 2013 में भी आतंकी हमले में बाल-बाल बच गए थे।

क्या हुआ था 16 अक्‍टूबर 2017 की रात

परिजनों ने बताया सूर्यास्त हो चुका था। हाेमनू गांव में इमरान के पिता मोहम्मद रमजान शेख भी अपने परिजनों के साथ अपने घर के भीतर बैठ टीवी देख रहे थे। अचानक एक फोन आया। फोन करने वाले ने कहा कि बाहर छह मेहमान खड़े हैं। दरवाजा खोलो। मोहम्मद रमजान शेख अनिष्ट की आंशका से घबरा गए। लेकिन खुद को संयत करते हुए उन्होंने जैसे ही दरवाजा खोला, हंगामा शुरु हो गया। मेहमान थे, इस्लाम के नाम पर मासूमाें का खून बहाने वाले हिजबुल मुजाहिदीन के छह आतंकी। रमजान शेख ने जान बचाने के लिए भागने का प्रयास किया। तीन अंदर घुस आए लेकिन आतंकियों ने पकड़ लिया। पूरा परिवार जमा हो गया।

एक आतंकी ने गुस्से में उसके बाल पकड़ उसे जमीन पर धक्का दिया। इसी दौरान पास ही खड़ा इरफान आतंकियों से उलझ पड़ा। घर के अन्य लोग भी आतंकियों का प्रतिरोध करने लगे। इस दौरान एक आतंकी ने गोली चला दी जो शेख रमजान को लगी। इरफान ने आव देखा न ताव, एक आतंकी की राइफल छीन ली और उसने गोली चला दी। इसमें एक आतंकी मारा गया। इमरान का यह रूप देखकर अन्य आतंकी दुम दबाकर भाग खड़े गए। हालांकि उनके पिता शेख रमजान को बचाया नहीं जा सका।

आतंकी समर्थकों ने घर जला दिया

शेख रमजान की मौत से पूरा परिवार सदमे में डूबा था। आतंकियों के डर से बहुत से रिश्तेदार और पड़ोसी भी जनाजे से दूर रहे। रमजान को मंगलवार की दोपहर से पहले ही उसके पैतृक कब्रिस्तान में सुपुर्दे खाक कर दिया गया। मारा गया आतंकी शौकत कुमार उर्फ शौकत फलाही भी निकटवर्ती गांव त्रेंज का रहने वाला था। इस पर आतंकियों ने भीड़ को रमजान के परिवार के खिलाफ भड़का दिया। त्रेंज व अन्य इलाकों से आतंकियों के समर्थक गांव में पहुंचना शुरू हो गए। दिवंगत रमजान शेख के भाई फारुक अपने भाई के चारों बच्चों, अपने बीबी बच्चों ,मां व अन्य रिश्तेदारों को लेकर निकटवर्ती बाग में छिपे। भीड़ की अगुआई एक दिन पहले ही दुम दबाकर भागे आतंकी कर रहे थे। इसी दौरान भीड़ में मौजूद लोगों ने मकान काे आग लगा दी। कुछ पड़ोसियों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने परिवार को सेफ हाउस में स्थानांतरित कर दिया।

अब उनके गांव में नहीं आते आतंकी

इरफान के चाचा फारुक अहमद ने कहा कि आतंकियों ने साजिश के तहत हमारे परिवार पर हमला कर दिया था। इसमें उनका एक साथी मारा गया। मैंने अपने भाई को खो दिया। आप सोचें 14 साल के इमरान पर इसका कितना गहरा असर हुआ होगा। पिता को खोने के दुख में शुरु में तो वह ठीक से खाना भी नहीं खा पा रहा था। अब वह नयी जिंदगी की शुरुआत कर चुका है, वह हमारे लिए नहीं दूसरों के लिए भी मिसाल है। मुझे यह कहने में कोई हर्ज नहीं, पहले जो लोग आतंकियों के डर से चुप रहते थे, अब अकसर गांव में इरफान की बहादुरी की बात करते हैं। आतंकियों के समर्थकों में भी इस बात का डर है कि लोग इरफान की तरह उनके साथ सुलूूक कर सकते हैं। इसलिए वह हमारे गांव की तरफ नहीं आते।

यहां सिर्फ डर है, समर्थन नहीं

कश्मीर मामलों के जानकार और समाजसेवी सलीम रेशी ने कहा कि इरफान अहमद ने जो किया, वह कश्मीर का हर नौजवान करना चाहता है। यहां का नौजवान आतंकी हिंसा और आतंकियों के खिलाफ है, बस उन्हें प्रोत्साहित किए जाने की जरुरत है। इरफान अहमद की बहादुरी को जितना सराहा जाए, कम है। हम उसके पिता को वापस नहीं ला सकते, उसने जो भुगता उसका कोई मुआवजा नहीं है। लेकिन आज उसे राष्ट्रपति ने शौर्यचक्र प्रदान कर, कश्मीर के अन्य बच्चों को भी आतंकियों के खिलाफ खुलकर मैदान में आने के लिए प्रोत्साहित किया है।

आजमगढ़ के मदरसे में पढ़ा था आतंकी शौकत

शौकत कुमार वर्ष 2016 में आतंकी बना था। वह त्रेंज का रहने वाला था और आजमगढ़ यूपी स्थित जमात ए इस्लामी हिंद के मदरसे जमात उल फलाह में इस्लाम की पढ़ाई कर आया था। उसके पिता जमात ए इस्लामी जम्मू कश्मीर के नामी नेताओं में एक हैं। जिला शोपियां में जमात के पूर्व जिला आमीर थे। 


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