India China Issue: चीन में नहीं है अपने से मजबूत दुश्मन से लड़ने की हिम्मत, देर तक याद रहेगा गलवन में मिला सबक
ब्रिगेडियर गुप्ता का कहना है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति सामान्य बनाने की मुहिम के दौरान कड़ी सर्तकता बरतना जरूरी है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो: पूर्वी लद्दाख के गलवन में इस बार चीन को कभी न भूलने वाला सबक मिला है। दुश्मन यह जान चुका है कि न तो अब वह मजबूत भारतीय सेना के साथ सामने की लड़ाई लड़ सकता है व न ही पीठे के पीछे से छुरा घौंपने की उसकी नीति ही काम आएगी। ऐसे हालात में उसके पास पीछे हटने के अलावा कोई विकल्प नही है।
चीन, पाकिस्तान जैसे देशों द्वारा पैदा की जा रही चुनौतियों का सामना कर रहे जम्मू कश्मीर के रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि दुश्मन भले ही इस समय तेवर नरम कर रहा है, लेकिन उसे कभी हलके से नही लिया जा सकता है। चीन की पुरानी आदत है कि वह कई बार नरम तेवर दिखाने के बाद भी वार कर देता है।
सेवानिवृत ब्रिगेडियर अनिल गुप्ता का कहना है कि इस बार चीन को कड़ा संदेश मिला है। पहले गलवन में उसे मुंहतोड़ जवाब मिला व उसके बाद सेना की जोरदार तैयारियाें से भी स्पष्ट हो गया कि मुंह की खानी पड़ेगी। ऐसे में उसका नरम तेवर दिखाना स्वाभाविक है। यह तय है कि चीन युद्ध लड़ने की स्थिति में नही है। ब्रिगेडियर गुप्ता का कहना है कि इस साल तो चीन कोई हिमाकत करने के बारे में नही सोचेगा। लेकिन अगले साल उसका रवैया क्या होगा, यह कहा नही जा सकता है। अलबत्ता यह तय है कि अब वह कोई शरारत करने से पहले एक नही कई बार सोचेगा।
ब्रिगेडियर गुप्ता का कहना है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति सामान्य बनाने की मुहिम के दौरान कड़ी सर्तकता बरतना जरूरी है। चीन वह कार्रवाई करने को राजी हुआ है जो पंद्रह जून से पहले की जानी थी। गलवन में उपजे हालात से इस प्रकिया में करीब एक महीने की देरी हुई। उन्होंने बताया कि अब हुए फैसले के अनुसार पहले चरण में वास्तविक नियंत्रण रेखा से सेनाएं कुछ पीछे हटेंगी। इसके बाद तनाव के माहौल में लाए गए हथियार हटाए जाएंगे। तीसरे चरण में अपने अपने इलाकों में लाए गए अतिरिक्त जवानों को वापस भेजना है। उन्होंनें बताया कि 72 घंटे तक पुष्टि करने के बाद ही अगली कार्रवाई की जाएगी।
वहीं दूसरी ओर वर्ष 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में वीर चक्र जीतने वाले कर्नल वीरेन्द्र साही का कहना है कि चीन, माउंटेन वारफेयर में विश्व में अपना कोई सानी नही रखने वाली भारतीय सेना के सामने टिक नही सकता है। भारतीय सेना को लद्दाख के सियाचिन में माउंटेन वारफेयर का करीब चालीस दशकों का अनुभव है। चीन को दुर्गम पहाड़ों पर लड़ाई करने का अंदाजा नही है।
ऐसे में इस बार जब चीन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कड़े तेवर व भारतीय सेना का आक्रामक रूख देखा तो उसके पास हालात बेहतर बनाने के अलावा कोई विकल्प नही था। चीन पर विश्वास नही किया जा सकता है, ऐसे में उसके तेवर नरम करने के बाद भी सर्तकता बनाया रखना जरूरी है। सोची समझी रणनीति के तहत चीन विवाद पैदा करता है, वह युद्ध करने की स्थिति में नही है।