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दिल्ली में PM Modi के साथ सर्वदलीय बैठक आज, जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा और पुख्ता, आतंकी हमले की आशंका

जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपना नाम न छापे जाने की शर्त पर बताया कि यह बैठक बहुत अहम है। इसे नुकसान पहुंचाने के लिए और बैठक के दौरान श्रीनगर में किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए आतंकी किसी भी हद तक जा सकते हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 24 Jun 2021 07:39 AM (IST)Updated: Thu, 24 Jun 2021 08:50 AM (IST)
दिल्ली में PM Modi के साथ सर्वदलीय बैठक आज, जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा और पुख्ता, आतंकी हमले की आशंका
केंद्र द्वारा कश्मीर के संदर्भ में एक बड़ा कदम उठाए जाने की चर्चा हो रही थी।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ आज वीरवार को जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में होने जा रही सर्वदलीय बैठक के मद्देनजर पूरे प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। इस बीच, पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने भी सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेते हुए पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह सुरक्षा बंदोबस्त को पूरी तरह मजबूत बनाएं, क्योंकि आतंकी आम लोगों को भी निशाना बना सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में शुक्रवार तक के हालात को ज्यादा संवेदनशील माना जा रहा है।

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नई दिल्ली में वीरवार यानी आज होने वाली बैठक बीते दो सालों में जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में होने वाली पहली महत्वपूर्ण बैठक है। इस बैठक के नतीजों को नुकसान पहुंचाने के लिए आतंकी हर संभव साजिश करेंगे। दरअसल, पहले भी जब कभी कश्मीर को लेकर कोई बातचीत की प्रक्रिया शुरू हुई है, आतंकियों ने उसे नुकसान पहुंचाने के लिए प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में सनसनीखेज वारदातों को अंजाम दिया है।

वर्ष 2000 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के भारत दौरे के दौरान छत्तिसिंहपोरा, अंनतनाग में आतंकियों 35 सिखों का सामूहिक नरसंहार किया था। इसके बाद वर्ष 2000 में ही जब हिजबुल मुजाहिदीन और केंद्र सरकार में बीच बातचीत की कवायद हो रही थी तो आतंकियों ने रामबन, कुलगाम व अनंतनाग में पांच दर्जन से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतारा था। यह हमले श्री अमरनाथ की वार्षिक तीर्थयात्रा के दौरान हुए थे। इसके अलावा मार्च, 2003 में नाडीमर्ग नरसंहार भी तभी हुआ, जब केंद्र द्वारा कश्मीर के संदर्भ में एक बड़ा कदम उठाए जाने की चर्चा हो रही थी।

वर्ष 2009 में जब केंद्र सरकार कश्मीर समस्या के समाधान के लिए पर्दे के पीछे हुर्रियत कांफ्रेंस के साथ बातचीत की दिशा में काफी आगे बढ़ गई थी तो आतंकियों ने हुर्रियत नेता फजल हक कुरैशी पर जानलेवा हमला किया था। इस हमले के बाद क्वाइट डिप्लोमेसी के नाम से जारी यह कवायद ठंडे बस्ते में चली गई थी।

पूरे जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बढ़ाई गई: जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपना नाम न छापे जाने की शर्त पर बताया कि दिल्ली में होने जा रही बैठक बहुत अहम है। इसे नुकसान पहुंचाने के लिए और बैठक के दौरान श्रीनगर में किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए आतंकी किसी भी हद तक जा सकते हैं। आतंकी हमलों की दृष्टि से संवेदनशील इलाकों को चिह्नित किया गया है और वहां सुरक्षा बढ़ाई गई है। यह सिर्फ कश्मीर या श्रीनगर तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में यह प्रक्रिया अपनाई गई है। पुलिस व अद्र्ध सैनिकबलों की गश्त बढ़ाई गई है। शहरों में आने जाने के रास्तों, नेशनल हाईवे और अंतर जिला सड़कों पर विशेष नाके स्थापित किए गए हैं।

सरहद और अल्संख्यकों की बस्तियों में चौकसी और बढ़ी: पुलिस से जुड़े सूत्रों ने बताया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भी चौकसी बढ़ाई गई है। दूरदराज के इलाकों, पहाड़ी इलाकों और वादी में अल्पसंख्यकों की बस्तियों के अलावा संरक्षित व्यक्तियों की सुरक्षा को और पुख्ता किया गया है। आतंकियों के प्रभाव वाले इलाकों में सेना के जवानों द्वारा लगातार घेराबंदी कर तलाशी ली जा रही है। उन्होंने बताया कि बीती रात नौगाम में एक पुलिस इंस्पेक्टर की हत्या और उसके बाद बुधवार शाम को श्रीनगर के हब्बाकदल इलाके में एक दुकानदार की हत्या को आप महज आतंकी घटना नहीं कह सकते, इन दोनों को वीरवार को होने वाली वार्ता के साथ भी जोड़कर देख सकते हैं। 


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