Move to Jagran APP

साढ़े तीन दशक से उपेक्षित है आयुर्वेद विभाग

रोहित जंडियाल, जम्मू स्वास्थ्य क्षेत्र को प्राथमिकता पर रखने के दावे करने वाली सरकारों में आयुर

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Apr 2017 02:28 AM (IST)Updated: Fri, 28 Apr 2017 02:28 AM (IST)
साढ़े तीन दशक से उपेक्षित है आयुर्वेद विभाग
साढ़े तीन दशक से उपेक्षित है आयुर्वेद विभाग

रोहित जंडियाल, जम्मू

loksabha election banner

स्वास्थ्य क्षेत्र को प्राथमिकता पर रखने के दावे करने वाली सरकारों में आयुर्वेद की दशा में सुधार के लिए किसी ने कुछ नहीं किया है। 35 साल पहले बने आयुर्वेद विभाग में आज भी स्थिति ज्यों की त्यों है। राज्य में नौ साल पहले बने आठ नए जिलों में आज तक एडीएमओ के पद सृजित नहीं हो पाए हैं। सिर्फ नोडल अधिकारी ही लगाए गए हैं, उनके पास कोई अधिकार भी नहीं हैं।

आयुर्वेद विभाग का गठन 1982 में हुआ था, लेकिन इसके बाद विभाग में कोई भी अतिरिक्त पद सृजित नहीं हुआ। उस समय 45 डिस्पेंसरियां ऐसी थी जिनमें सिर्फ एक ही मेडिकल ऑफिसर था। आज भी इनमें एक-एक मेडिकल ऑफिसर ही है। करीब तीन साल पहले 87 नई डिस्पेंसरियां खोली गई, मगर कोई भी अतिरिक्त पद सृजित नहीं हो पाया। इस समय राज्य में आयुर्वेद का एक अस्पताल और 417 डिस्पेंसरियां हैं, लेकिन किसी की स्थिति अच्छी नहीं है। अस्पताल में बी-ग्रेड स्पेशलिस्ट के दो पद हैं, लेकिन दोनों खाली हैं। अधिकांश दवाइयां भी अस्पतालों में उपलब्ध नहीं हैं। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि दवाओं के बारे में जेके मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन को लिखा गया है और जल्दी ही दवाएं आने की उम्मीद है। सरकार की उदासीनता से डॉक्टरों में रोष है।

कई साल विभाग में सेवाएं दे चुके डॉ. महेश शर्मा कहते हैं कि सरकार को आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए बजट में बढ़ोतरी करनी चाहिए। हालांकि स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री बाली भगत का कहना है कि आयुर्वेद को सरकार बढ़ावा दे रही है। इसी सत्र में आयुर्वेद कॉलेज भी खुल जाएगा। उसका काम जोरों से चल रहा है।

-----------

डॉक्टरों में रोष

जम्मू-कश्मीर आयुर्वेद कांग्रेस के राज्य प्रधान डॉ. बीआर शर्मा का कहना है कि सरकार ने आयुर्वेद के साथ सौतेला व्यवहार किया है। आयुर्वेद को तभी बढ़ावा दिया जा सकता है जब जम्मू के लिए अलग निदेशालय बनाया जाए।

-----------

नाममात्र का बजट

आयुर्वेद के लिए सरकार ने बजट भी नाममात्र रखा है। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के कुल बजट में से मात्र एक ही प्रतिशत आयुर्वेद विभाग पर खर्च किया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.