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रहबर-ए-तालीम का नहीं होगा स्क्रीनिंग टेस्ट

राज्य ब्यूरो, जम्मू : राज्य सरकार ने रहबर-ए-तालीम (आरईटी) अध्यापकों को राहत देते हुए उनकी स्क्रीनिंग

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Mar 2017 01:36 AM (IST)Updated: Sat, 25 Mar 2017 01:36 AM (IST)
रहबर-ए-तालीम का नहीं होगा स्क्रीनिंग टेस्ट
रहबर-ए-तालीम का नहीं होगा स्क्रीनिंग टेस्ट

राज्य ब्यूरो, जम्मू : राज्य सरकार ने रहबर-ए-तालीम (आरईटी) अध्यापकों को राहत देते हुए उनकी स्क्रीनिंग टेस्ट का फैसला वापस ले लिया है। राज्य में नियुक्त करीब 42 हजार आरईटी में से मात्र एक प्रतिशत यानि करीब 400 को ही आठवीं स्तर का स्क्रीनिंग टेस्ट देना होगा। यह वे अध्यापक हैं जिन्होंने स्टडी सेंटरों से डिस्टेंस एजुकेशन के जरिए डिग्रियां हासिल की हैं। आरईटी काफी समय से स्क्रीनिंग टेस्ट के फैसले का विरोध कर रहे थे। इसके साथ ही राज्य सरकार ने भूख हड़ताल पर बैठे कांट्रेक्ट लेक्चररों को स्थायी करने से साफ इन्कार कर दिया है।

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इसकी जानकारी शिक्षा मंत्री अल्ताफ बुखारी ने शुक्रवार को सचिवालय में पत्रकार वार्ता में दी। बुखारी ने कहा कि अधिकतर अध्यापक अपनी ड्यूटी बेहतर ढंग से निभा रहे हैं। सरकार आईटी को तंग नहीं करना चाहती है। इसलिए हमने स्क्रीनिंग टेस्ट न करने का फैसला किया है। मात्र 400अध्यापक ऐसे हैं जिन्होंने ऐसे स्टडी सेंटरों से डिग्रियां हासिल की हैं जो मान्य नहीं है। न्यायालय के आदेश पर उनका स्क्रीनिंग टेस्ट होगा और इसके लिए मात्र आठवीं कक्षा का पाठ्यक्रम ही होगा।

इसके साथ उन्होंने कहा कि रहबर-ए-तालीम को फरवरी तक और स्थायी हुए रहबर-ए-तालीम को सिंतबर 2016 तक वेतन मिला है। हमने इस मसले को केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के समक्ष उठाया है। हमारी पूरी कोशिश है कि अप्रैल के अंत तक बकाया वेतन जारी कर दिया जाए। मंत्री ने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान केंद्र सरकार से 1024 करोड़ रुपये हासिल हुए हैं। केंद्र से लंबित पड़ी धनराशि 726 करोड़ मांगी गई है, ताकि अध्यापकों का वेतन जारी किया जा सके। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग में इंजीनिय¨रग विंग बनाया जाएगा, ताकि निर्माण कार्यों में लगे अध्यापकों को वापस बुलाया जा सके।

वहीं अध्यापकों को पदोन्नति करके मास्टर बनाए जाने के बाद सभी पदोन्नत मास्टरों को एडजस्ट न किए जाने के मुद्दे यानि एसआरओ-66 पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस आदेश को फिलहाल ठंडे बस्ते में रखा गया है। सरकार किसी के साथ बेइंसाफी नहीं होने देगी। जम्मू विवि व कश्मीरी विवि से की गई डिस्टेंस एजुकेशन की डिग्री को मान्य देगी। इसके बाद इसका कैबिनेट में फैसला होगा।

वहीं पिछले एक महीने से अधिक समय से भूख हड़ताल पर बैठे कांट्रेक्ट लेक्चररों को राहत देने से शिक्षा मंत्री ने साफ इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा कि कांट्रेक्ट का मतलब सबको पता है। चाहे दस वर्ष से लगे हों, लेकिन कांट्रेक्ट बढ़ता रहता है। सरकार उन्हें स्थायी नहीं कर रही है। हमारी हमदर्दी उनके साथ है। कई तो ऐसे हैं जिन्होंने कई बार अध्यापक नियुक्त होने का पेपर दिया, लेकिन कामयाब नहीं हुए।

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चुनावों में नहीं लगाई जाएगी अध्यापकों की ड्यूटी :

कश्मीर में होने वाले संसदीय उपचुनाव या किसी अन्य चुनावों में अध्यापकों की ड्यूटी नहीं लगेगी। शिक्षा मंत्री ने कहा कि अध्यापकों की सेवाएं चुनाव व अन्य कामों में लिए जाने से बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ता है। मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर काफी चिंतित हैं। हमने एकाउंटिंग सिस्टम के लिए अध्यापकों की सेवाएं न लेने का फैसला किया है। इसे आउट सोर्स किया जाएगा। अध्यापकों की प्राथमिक नौकरी अध्यापन ही है। मिड डे मील में भी अध्यापकों को खाना बनाने से मुक्त किया जाएगा और यह जिम्मा गैर सरकारी संगठनों को सौंपा जाएगा।

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शिक्षकों को दूरदराज इलाकों में भी जाना होगा :

शिक्षा मंत्री ने कहा कि हम तबादला नीति को पारदर्शी बनाने के हक में हैं। सभी अध्यापकों को जम्मू व श्रीनगर शहरों में नहीं लगाया जा सकता। हम दस प्रतिशत संख्या तो बढ़ा सकते हैं, लेकिन सौ प्रतिशत नहीं। इसलिए हमें अध्यापक सहयोग दें। ग्रामीण व दूरदराज के इलाकों में भी बच्चे पढ़ते हैं। सरकार बच्चों की पढ़ाई के मामले में कोई समझौता नहीं करेगी।

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निजी स्कूलों में मनमानी फीस पर सरकार असमर्थ :

प्राइवेट स्कूलों में फीस ढांचा तय करने पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर उच्च न्यायालय ने कमेटी बनाई हुई है। सरकार मनमानी फीसों पर अंकुश लगाने में कुछ नहीं कर सकती। जब उनसे पूछा गया कि क्या आप विधानसभा में फीसों पर अंकुश के लिए बिल नहीं ला सकते तो उन्होंने कहा कि हमारा ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। सरकार के पास फीसों पर अंकुश के लिए कोई अधिकार नहीं है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि हमारी कोशिश है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का बेहतर ढांचा बने। आठवीं कक्षा में सरकारी स्कूलों के खराब परिणाम पर बुखारी ने कहा कि इसके लिए संबंधित स्कूलों के अध्यापकों को जवाबदेह बनाया जाएगा और इंक्रीमेंट रोकी जाएगी।

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सरकार स्कूलों में सुरक्षा मुहैया नहीं करवा सकती :

कश्मीर में खराब हालात के दौरान स्कूल जलाए जाने की घटनाओं के बाद वहां सुरक्षा उपलब्ध करवाने पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि ऐसा संभव नहीं हैं। हजारों स्कूलों में सुरक्षा मुहैया नहीं करवाई जा सकती। इन स्कूलों को फिर से बनाना भी काफी कठिन है, क्योंकि पैसे की कमी है।

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