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सियाचिन से नहीं लाए जा सके शव, मौसम बना बाधा

राज्य ब्यूरो, जम्मू : लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन में शहीद हुए सेना के नौ जवानों के शव ब

By Edited By: Published: Thu, 11 Feb 2016 02:17 AM (IST)Updated: Thu, 11 Feb 2016 02:17 AM (IST)
सियाचिन से नहीं लाए जा सके शव, मौसम बना बाधा

राज्य ब्यूरो, जम्मू : लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन में शहीद हुए सेना के नौ जवानों के शव बुधवार को खराब मौसम के कारण घटनास्थल से बेस कैंप में नहीं लाए जा सके। सेना की योजना थी कि जवानों के शवों को एयरलिफ्ट कर लेह की थायस एयरबेस तक पहुंचाया जाएगा। जहां श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद पार्थिव शरीर विशेष विमान से दिल्ली भेजे जाएंगे, लेकिन मौसम खराब होने के कारण हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर सका।

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सियाचिन में करीब बीस हजार फीट की ऊंचाई से जवानों के शव नीचे लाने का कार्य सरल नहीं है। शवों को तीन चरणों में नीचे लाया जाना है। पहले उन्हें ग्लेशियर के बेस कैंप लाया जाएगा, जहां से उन्हें परतापुर व उसके बाद थायस एयरबेस तक पहुंचाया जाना है। सियाचिन में इस समय मौसम के तेवर बेहद कड़े हैं और तापमान शून्य से नीचे -40 डिग्री सेल्सियस चल रहा है। हवाएं भी 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बह रही हैं। ऐसे हालात में हेलीकॉप्टर की उड़ान खतरे से खाली नहीं।

इस संबंध में सेना की उत्तरी कमान के पीआरओ डिफेंस कर्नल एसडी गोस्वामी ने जागरण को बताया कि जैसे ही मौसम इजाजत देगा, शवों को थायस तक पहुंचाकर उन्हें विशेष विमान से आगे भेज दिया जाएगा। सेना ने पूरी तैयारी कर रखी है और स्थिति सामान्य होते ही शवों को नीचे लाया जाएगा।

गौरतलब है कि तीन फरवरी को हुए हिमस्खलन में सैन्य चौकी व दस जवान करीब 35 फीट बर्फ में दब गए थे। गत सोमवार को सेना के बचाव दल ने लांस नायक हनुमनथप्पा को जिंदा बचाकर उन्हें हेलीकॉप्टर से पहले थायस तक पहुंचा और फिर दिल्ली ले जाया गया, लेकिन खराब मौसम के कारण अभी भी नौ जवानों के शव मौके पर ही हैं।

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