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नेपाल मार्ग से आतंकवादियों की वापसी रोके केंद्र

राज्य ब्यूरो, जम्मू : कश्मीरी पंडितों के संगठन पनुन कश्मीर ने राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के तहत आत

By Edited By: Published: Mon, 06 Jul 2015 01:02 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2015 01:02 AM (IST)
नेपाल मार्ग से आतंकवादियों की वापसी रोके केंद्र

राज्य ब्यूरो, जम्मू : कश्मीरी पंडितों के संगठन पनुन कश्मीर ने राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के तहत आतंकवादियों की नेपाल मार्ग से वापसी का मुद्दा केंद्र सरकार से उठाते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की है। पनुन कश्मीर के नेताओं ने रविवार को दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह व प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से भेंट कर पुनर्वास नीति की आड़ में आतंकवादियों के नेपाल मार्ग से देश में घुसने को सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा करार दिया। केंद्रीय मंत्रियों को इस बारे में ज्ञापन सौंपने वाले इस दल का नेतृत्व पनुन कश्मीर के प्रधान अश्विनी चरंगू कर रहे थे। वापसी के लिए निधार्रित नियमों को दरकिनार करते हुए सीमा पार से काफी आतंकवादी राज्य में परिवार सहित पहुंच रहे थे व अब तक 453 लोग, 197 महिलाओं व 603 बच्चों के साथ नेपाल मार्ग से राज्य आ चुके हैं।

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पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के कार्यकाल के दौरान शुरू हुई पुनर्वास नीति के तहत आतंकवादियों की वापसी के लिए चार रूट तय किए गए थे। इनमें पुंछ में चकना-द-बाग, बारामूला में सलामाबाद, पंजाब में बाधा बॉर्डर व दिल्ली का इंदिरा गांधी इंटरनेशनल रूट शामिल है। इस मार्गो से एक भी सरेंडर आतंकवादी वापस नहीं आया है। ऐसे में पनुन कश्मीर ने केंद्रीय मंत्रियों के हस्तक्षेप पर जोर देते हुए मौजूदा पुनर्वास नीति की खामियों को दूर करने के लिए कार्रवाई हो। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से ऐसी अवैध वापसी के कारण जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा, राष्ट्रीय हितों के लिए खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में केंद्र सरकार को पहले भी ज्ञापन सौंपे जा चुके हैं।

गृहमंत्री ने विश्वास दिलाया कि केंद्र सरकार इस मामले पर गंभीरता से गौर करेगी। उन्होंने कहा कि पंडित डॉ. जितेंद्र सिंह के माध्यम से केंद्र को ऐसे मामलों के बारे में आगाह करते रहें। इस बीच पनुन कश्मीर ने तेरह जुलाई को कश्मीर में शहीदी दिवस मनाने का भी विरोध किया। उन्होंने कहा कि कश्मीर से निकाले गए पंडित इसे काला दिवस के रूप में मनाते हैं। इसके साथ उन्होंने पंडितों के मसलों, रोजगार आदि पर भी चर्चा की।

प्रतिनिधिमंडल में पनुन कश्मीर के नेता कमल बगाती, उत्पल कौल, विनोद पंडित व पीयूष आदि शामिल थे।


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