धरोहर समेटे साइंस कॉलेज को यूजीसी से मिली मदद
राज्य ब्यूरो, जम्मू : जम्मू का एतिहासिक जीजीएम साइंस कॉलेज धरोहर व विरासत को समेटे हुए हैं। वर्ष 190
राज्य ब्यूरो, जम्मू : जम्मू का एतिहासिक जीजीएम साइंस कॉलेज धरोहर व विरासत को समेटे हुए हैं। वर्ष 1905 में प्रिंस ऑफ वेल्स कॉलेज के नाम से अस्तित्व में आए कॉलेज ने एक सौ वर्ष से अधिक का सफर तय किया है। कॉलेज को आज तक हेरीटेज कॉलेज का दर्जा प्राप्त नहीं है अलबत्ता यूजीसी ने राज्य के एक मात्र को हेरीटेज कॉलेज के तौर पर विस्तार करने के लिए धनराशि जारी करने को मंजूरी दी है।
कॉलेज की एक सौ वर्ष से पुरानी इमारत अपने असली स्वरूप में है। वर्ष 1947 देश की आजादी तक कॉलेज पंजाब विश्वविद्यालय लाहौर से मान्यता प्राप्त रहा और उसके बाद कश्मीर व जम्मू विश्वविद्यालय से इसकी मान्यता हुई। वर्ष 1969 में जब जम्मू विवि की स्थापना हुई तो यह उसके अधीन चला गया। साइंस कॉलेज में हैरीटेज गैलरी बनाने का प्रस्ताव है, जिससे वर्षो पुरानी कुछ दुलर्भ उपकरण व वस्तुएं रखी जाएंगी। गैलरी का काम आधा अधूरा पड़ा हुआ है। कॉलेज में अपनी तरह का जियोलाजी का म्यूजियम है जिसमें बारह फीट लम्बा हाथी के दांत का अवशेष है। म्यूजियम में अवशेष पड़े हुए है। इसकी स्थापना डीएन वाडिया ने की थी। कॉलेज की लाइब्रेरी में पचास हजार से अधिक पुस्तके हैं। कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. सतेंद्र सिंह का कहना है कि जम्मू में साइंस कॉलेज व श्रीनगर में एसपी कॉलेज एक सौ वर्ष से पुराने हैं। यूजीसी ने एक सौ वर्ष से पुराने कॉलेजों को ग्रांट देने की योजना शुरू की थी, जिसके तहत जम्मू का साइंस कॉलेज इसके लिए चुना गया। यह कॉलेज के लिए नहीं बल्कि पूरे जम्मू कश्मीर के लिए गौरव की बात है। कॉलेज की तरफ से इस संबंध में 55 लाख रुपये का प्रस्ताव भेजा गया था। यूजीसी ने कॉलेज को इसके लिए चुना है। इससे कॉलेज के संरक्षण करने में मदद मिलेगी।
एक इतिहास को समेटे हुए कॉलेज में पढ़ाई कर चुके कई विद्यार्थी देश के सर्वोच्च स्थानों पर पहुंचे हैं, जिससे कॉलेज का गौरव बढ़ा है। देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एएस आनंद, देश के पूर्व थल सेना अध्यक्ष एनसी विज, जम्मू विवि के पूर्व वीसी स्वर्गीय एमआर पुरी, साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित स्वर्गीय यश शर्मा व अन्य हस्तियों ने कॉलेज से पढ़ाई की है।