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सीमां बांध ने किया फसलों का सफाया

जागरण संवाददाता, जम्मू : सीमांत क्षेत्रों में आए दिन गोलीबारी कर दहशत फैलाने वाला पाकिस्तान अपनी नाप

By Edited By: Published: Fri, 24 Apr 2015 01:55 AM (IST)Updated: Fri, 24 Apr 2015 01:55 AM (IST)
सीमां बांध ने किया फसलों का सफाया

जागरण संवाददाता, जम्मू : सीमांत क्षेत्रों में आए दिन गोलीबारी कर दहशत फैलाने वाला पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा। पाकिस्तान अब दोहरी चाल चलते हुए सीमांत क्षेत्र की कृषि अर्थव्यवस्था को कमजोर करने में जुट गया है। संघर्ष विराम के दौरान पाकिस्तान ने अपनी तरफ सीमा बांध बनाकर भारत की ओर से आने वाले पानी की निकासी को बंद कर दिया है। हाल ही में हुई बारिश के पानी को निकास नहीं मिलने के कारण जम्मू-सांबा बेल्ट के सीमांत क्षेत्र में पड़ती 25 हजार हेक्टेयर भूमि पर लगी गेहूं की फसल पानी में रहकर पूरी तरह सड़कर बर्बाद हो गई है। इससे प्रभावित गांव चकरोई, दीवानगढ़, जबोवाल, सई कला, सई कलां फागला, चानना, त्रेवा, कोटली, काकू दे कोठे, अलां आदि के किसानों को काफी नुकसान उठना पड़ा है।

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मार्च महीने में रिकॉर्डतोड़ 334.8 एमएम की बारिश से हर छोटा बड़ा नाला उफान पर था, जिससे अधिकांश पानी निचले क्षेत्रों में पहुंचकर खेतों में ही समाया। बांध ने बारिश के पानी को आगे नहीं बढ़ने दिया। ऐसे में जलमग्न हुए खेतों में लगा गेहूं, चारा व सब्जियों समेत अन्य फसलों का पूरी तरह से सफाया हो गया। हालांकि बारिश से जम्मू जिले में 56 हजार हेक्टेयर व सांबा में 20 हजार हेक्टेयर भूमि पर लगी गेहूं की फसल प्रभावित हुई, मगर निचले क्षेत्रों को तो सौ फीसद का नुकसान उठाना पड़ा।

सई कलां फागला के किसान हरभजन सिंह ने कहा कि सात-आठ साल पहले जब बांध बनाया गया तो पाकिस्तान ने नालों के पानी के लिए कोई निकास नहीं रखा, जिसका खामियाजा सीमांत किसान भुगत रहे हैं। दरअसल, जम्मू जिले में वैसे 96 हजार हेक्टेयर में गेहूं की खेती होती है और इसमें 45 हजार हेक्टेयर भूमि नान इरीगेटिड (बारिश के पानी पर निर्भर इलाके) है जहां भूमि असमतल होने के कारण बारिश का पानी खड़ा रहने का डर नहीं रहता। जबकि इरीगेटिड बेल्ट (नहरी पानी वाले मैदानी क्षेत्र) जोकि सीमांत क्षेत्र तक पड़ती है, वहां 50 हजार हेक्टेयर में गेहूं की खेती होती है। यही बेल्ट विश्व प्रसिद्ध बासमती उगाने के लिए जानी जाती है। हालांकि पानी बासमती धान के लिए उपयोग रहता है, मगर गेहूं के लिए यही पानी काल बनकर सामने आया। वैसे जिले में 56000 हेक्टेयर पर गेहूं की फसल बरबाद हुई है, मगर इसका 70 फीसद भाग इरीगेटिड बेल्ट में ही पड़ता है। आठ हजार हेक्टेयर में लगा चारा बेकार हो गया, जबकि सात हजार हेक्टेयर में सब्जियों की फसल बेकार हो गई।

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नुकसान का आंकलन शुरू :

मुख्य कृषि अधिकार चंद्र मोहन शर्मा ने कहा कि फसलों को हुए नुकसान के आंकलन के लिए विभाग ने काम शुरू कर दिया है। रही बात सीमांत क्षेत्र में पानी के रुकने की तो इस बारे में हम आने वाली बैठकों में चर्चा करेंगे और रिपोर्ट बनाकर विभाग को सौंपेंगे।

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फसलों का नुकसान

जिला जम्मू

गेहूं 56000

दालें, 4500

सब्जियां, 6690

तेल वाले बीज, 4700

चारा 8050

(हेक्टेयर में)


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