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बकाया राशि के लिए भटक रहे मनरेगा कार्ड धारक

संवाद सहयोगी, आरएसपुरा : केंद्र सरकार की ओर से गांव के बेरोजगार युवकों को गांव में ही काम देने और उन

By Edited By: Published: Tue, 21 Apr 2015 01:03 AM (IST)Updated: Tue, 21 Apr 2015 01:03 AM (IST)
बकाया राशि के लिए भटक रहे मनरेगा कार्ड धारक

संवाद सहयोगी, आरएसपुरा : केंद्र सरकार की ओर से गांव के बेरोजगार युवकों को गांव में ही काम देने और उन्हें उचित दिहाड़ी देने के लिए शुरू की गई मनरेगा स्कीम का लाभ जॉब कार्ड धारकों को नहीं मिल रहा है।

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इस स्कीम के तहत किए गए कार्य के कार्ड होल्डरों को पिछले दो वर्षो से बकाया राशि भी नहीं मिल पाई है। यही नहीं, आगे भी काम नहीं मिल रहा है, जिस कारण सरकार के प्रति कार्ड होल्डरों में रोष है।

उपजिला में कई गांव के मनरेगा कार्ड धारक राशि पाने के लिए ब्लॉक में इधर-उधर भटकते नजर आते हैं। मगर अधिकारी उन्हें पीछे से फंड नहीं आने की बात कह कर लौटा देते हैं।

गांव महेशियां निवासी जॉब कार्ड होल्डर बलवीर चंद, हरबंस लाल व थोडू राम का कहना है कि उन्हें पिछले दो वर्षो से अपने गांव में किए गए विकास कार्य की राशि नहीं मिली है और न ही आगे कोई नया काम मिला है।

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ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यो पर असर

आरएसपुरा : मनरेगा स्कीम के तहत फंड उपलब्ध न होने से सिर्फ ग्रामीण बेरोजगारों को ही नुकसान नहीं पहुंच रहा बल्कि ग्रामीण क्षेत्र के विकास पर काफी प्रभाव पड़ रहा है। पंचायत चक बाला के सरपंच चौधरी कुलवीर सिंह का कहना है कि मनरेगा का सबसे ज्यादा लाभ गांव को हो रहा है। गांव में छोटे से छोटा विकास काम इससे पूरा हो रहा है। गांव की खस्ताहाल गलियों व नालियों की दशा सुधारने के साथ अन्य विकास कार्य भी हो रहे हैं, लेकिन पंचायतों के पास पिछले दो वर्षो से बहुत कम फंड मनरेगा स्कीम के तहत उनके पास आया है। सई खुर्द सरपंच सरदार हरि सिंह का कहना है कि मनरेगा स्कीम का लाभ लोगों को असल में नहीं मिल पा रहा है।

उन्होंने बताया कि पिछले दो वर्षो में उनकी पंचायत में मात्र एक लाख रुपया मनरेगा के तहत उपलब्ध हुआ है। इससे पंचायत के तहत आने वाले गांव के विकास कार्य बंद हो जाने से काम करने वाले मजदूरों का भी काफी बकाया रहता है। अगर सरकार ने मनरेगा को लागू किया है तो यह भी देखे कि इसका लाभ लोगों को मिल रहा है या नहीं अन्यथा इसको बंद कर दे।


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