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उपलब्धियों भरा रहा डोगरी का सफर

अशोक शर्मा, जम्मू डोगरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल हुए सोमवार को ग्यारह वर्ष हो ग

By Edited By: Published: Mon, 22 Dec 2014 02:16 AM (IST)Updated: Mon, 22 Dec 2014 02:16 AM (IST)
उपलब्धियों भरा रहा डोगरी का सफर

अशोक शर्मा, जम्मू

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डोगरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल हुए सोमवार को ग्यारह वर्ष हो गए हैं। इस दौरान डोगरी का सफर उपलब्धियों भरा रहा है। खासकर साहित्य के क्षेत्र में डोगरी को दुनियाभर में खासी पहचान मिली है। आज कंप्यूटर साफ्टवियर और इंटरनेट के क्षेत्र में डोगरी भाषा में कार्य तेजी से हो रहा है। डोगरी के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल होने से डोगरी साहित्यकार उत्साहित हैं जिसके चलते हर वर्ष दर्जनों किताबों का प्रकाशन हो रहा है। पिछले ग्यारह वर्षो में सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। साहित्य अकादमी नई दिल्ली व जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा की ओर से आयोजित डोगरी कार्यक्रमों की संख्या बढ़ी है। डोगरी साहित्य का दूसरी मान्यता प्राप्त भाषाओं में नियमित अनुवाद हो रहा है। साहित्य अकादमी के सहयोग से आगामी दो माह में डोगरी से मलयालम में अनुवाद की केरल में कार्यशाला होने जा रही है। डोगरी भाषा के प्रचार प्रसार में माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने सराहनीय योगदान दिया है। इसकी मदद से डोगरी साहित्य का ¨हदी और अंग्रेजी में अनुवाद हो रहा है। हाल ही में डोगरी संस्था की ओर से ललित मगोत्रा के संपादन में ¨हदी कहानियों का एक संकलन प्रकाशित हुआ है। इन दिनों डोगरी एकांकी के ¨हदी अनुवाद पर कार्य चल रहा है। बच्चों में डोगरी की लोकप्रियता बढ़ाने के उद्देश्य से अमर चित्र कथा के सहयोग से बच्चों के लिए डोगरी कॉमिक्स का प्रकाशन हो रहा है। पहले डोगरी कॉमिक्स 'दुखी शेर' फिर 'पखरुएं दी कहानियां' प्रकाशित हुई। 'रानी झांसी' और 'भगत कबीर' का प्रकाशन हुआ। इसका विमोचन अभी होना है। स्वामी विवेकानंद पर कॉमिक्स बनाने पर इन दिनों काम चल रहा है। कंप्यूटर साफ्ट वियर और इंटरनेट कंप्यूटर को लेकर भी डोगरी में काम तेजी से चल रहा है। इसके अलावा आइएएस और केएएस की परीक्षा में भी डोगरी को विषय के रूप में रखने की प्रक्रिया जारी है। साहित्य अकादमी नई दिल्ली के डोगरी सलाहकार बोर्ड के सदस्य प्रो. ललित मगोत्रा ने कहा कि डोगरी में डोगरी में सराहनीय कार्य हुआ है। जिस लगन से कार्य हो रहा है इससे डोगरी की संभावनाएं बढ़ी हैं। डुग्गर मंच क अध्यक्ष मोहन सिंह का कहना है कि लेखकों का उत्साह तो बढ़ा है। राज्य सरकार का रवैया डोगरी भाषा को लेकर नकारात्मक रहा है। स्कूलों में डोगरी की पढ़ाई को लेकर जो कार्य होने चाहिए थे नहीं हुए है।


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