कोख में दम तोड़ रही बेटियों की 'किलकारियां'
राज्य ब्यूरो, जम्मू : बेटी को देवी का रूप मानने वाले समाज में बेटियों की आज यह हालत है कि उन्हें दुन
राज्य ब्यूरो, जम्मू : बेटी को देवी का रूप मानने वाले समाज में बेटियों की आज यह हालत है कि उन्हें दुनिया में आने से रोकने के लिए अपने ही उसके दुश्मन बन गए हैं। इसकी एक मिसाल जम्मू-कश्मीर है, जहां आज बेटियों की संख्या अपने अब तक के निम्न स्तर पर है। सरकार ने हालांकि इसमें सुधार के लिए कुछ कदम जरूर उठाए हैं, लेकिन डगर अभी लंबी है।
इस संबंध में साल 2011 की जनगणना के जब आंकड़े सामने आए तो कश्मीर से लेकर जम्मू तक की एक अलग ही तस्वीर दिखी। आंकड़े न सबको हिला देने वाले बल्कि सभ्य और जागरूक समाज की पोल खोल देने के लिए काफी हैं। एक दशक पूर्व लिंगानुपात एक हजार लड़कों के मुकाबले 892 था, अब यह और भी कम होकर 883 तक पहुंच गया है। चिंता की बात यह है कि राज्य के तमाम 22 जिलों में से किसी एक में भी लड़के और लड़कियों की संख्या बराबरी पर नहीं है। लेह जिले की हालत सबसे चिंताजनक है।
छह वर्ष तक की बेटियों की बात करें तो उनकी हालत और भी दयनीय है। इस आयु वर्ग में लिंगानुपात महज 859 रह गया है। हालांकि, राज्य का स्वास्थ्य विभाग इसमें सुधार का दावा करता है लेकिन फिर भी स्थिति चिंताजनक है। कोख में बेटियों को को मारने की घटनाओं में हालांकि कमी जरूर आई है लेकिन हालात में सुधार जैसी अभी बात नजर नहीं आती।
कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम के लिए राज्य में पीसी-पीएनडीटी एक्ट (प्री-कन्सेप्शन एंड प्री नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक) लागू है लेकिन इसे कड़ाई से लागू करने में इच्छाशक्ति का अभाव दिखता है। यही कारण था कि राज्य में अवैध रूप से कई अल्ट्रासाउंड केंद्र भी खुले रहे और अब भी ऐसे केंद्र चलने की शिकायतें आती रहती हैं। इनमें धड़ल्ले से चंद रुपयों की खातिर जन्म से पहले ही बच्चे के लिंग की जानकारी दे दी जाती थी और बेटियों को जन्म से पहले ही मार दिया जाता था। राज्य में कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए बनी सलाहकार समिति के सदस्यों ने भी यह स्वीकार किया है कि अवैध रूप से चल रहे अल्ट्रासाउंड क्लीनिकों के कारण ही राज्य में आज यह स्थिति है।
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खानदान बढ़ाने की चाह
जम्मू: बेटी को कोख में ही मारने के पीछे एक बहुत बड़ा कारण खानदान बढ़ाने की चाहत भी है। अभी भी अधिकांश परिवार लड़का सिर्फ इसीलिए चाहते हैं कि उनका खानदान चलता रहे। कई परिवार जिनके घरों में पहले से ही एक बेटी होती है, वह दूसरी बेटी की चाह नहीं रखते।
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एक्ट में कड़े प्रावधान
जम्मू: पीसी-पीएनडीटी एक्ट में जन्म से पहले लिंग जांच करने पर कड़े प्रावधान रखे गए हैं। इसमें टेस्ट करने वाले अल्ट्रासाउंड केंद्र का लाइसेंस रद्द करने के अलावा सजा व जुर्माना भी हो सकता है।
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आ रहा है परिणाम
जम्मू: पिछले कुछ समय से राज्य में चला रहे जागरूकता अभियान व एक्ट को सख्ती के साथ लागू करने के परिणाम सामने आ रहे हैं। बेटियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। सरकार ने इसके लिए कई कदम भी उठाए हैं। पिछला वर्ष बेटियों को ही समर्पित किया था। लिंग जांच करने वालों की सूचना देने वालों को भी पुरस्कार दिया जाता है। भविष्य में और अच्छे परिणाम आएंगे।
डॉ. यशपाल शर्मा, मिशन निदेशक एनआरएचएम
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आंकड़ों पर स्लग
-बेटों की अपेक्षा कम होती लड़कियों की संख्या