सुशील के कहानी संग्रह कु'न अपने का विमोचन
जागरण संवाददाता, जम्मू : साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित शिव देव सुशील के डोगरी कहानी संग्रह 'कु
जागरण संवाददाता, जम्मू : साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित शिव देव सुशील के डोगरी कहानी संग्रह 'कु'न अपने' का विमोचन डुग्गर मंच ने केएल सहगल हॉल में आयोजित कार्यक्रम में किया। यह शिव देव सुशील की 15वीं पुस्तक है। इससे पहले उनके तीन उपन्यास, चार कहानी संग्रह, चार कविता संग्रह, तीन नाटक एवं एक चुनिदा कविताओं का संग्रह सासों की नदी' का प्रकाशन हो चुका है। उन्होंने नए कहानी संग्रह को अपने पिता ठॉ. इंदर सिंह जी को समर्पित किया है। पुस्तक में 14 कहानियां हैं।
साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित डीके वैद, वरिष्ठ साहित्यकार रमेश मेहता, डुग्गर मंच के अध्यक्ष मोहन सिंह, देश बंधु डोगरा नूतन मंच पर विराजमान थे। वैद ने अपने संबोधन में शिव देव सुशील के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सुशील की कहानियां आसपास की फोटो खींचती नजर आती हैं। देहाती जीवन का दर्शन होता है। ऐसा लगता है कि हमारी ही बातें हम तक पहुंच रही हैं लेकिन उन्हें पढ़ने में लुत्फ आता है। उनकी लगभग सभी पुस्तकों का हिन्दी में अनुवाद हो चुका है। सभी को सराहा गया है। जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी के पूर्व सचिव रमेश मेहता ने सुशील के साहित्यिक सफर को डोगरी साहित्य के लिए बहुत बड़ा योगदान बताया। उन्होंने उनकी कहानियों और कविताओं पर भी बात की। उन्होंने डोगरी अकादमी की जरूरत पर भी बल दिया। डॉ. सुनीता भड़वाल ने पुस्तक पर पेपर पढ़ा। इस मौके पर शिव देव सुशील ने अपनी कहानी 'प्यो दा देश' पढ़ी जिसे पसंद किया गया। देश बंधु नूतन ने सुशील की कहानियों की प्रशंसा की। धन्यवाद प्रस्ताव में डुग्गर मंच के प्रधान मोहन सिंह ने डोगरी में प्रकाशित हो रही किताबों की संख्या पर संतोष व्यक्त किया लेकिन पाठकों की कमी पर चिंता जताई। उन्होंने शिव देव सुशील की कहानियों की सराहना करते हुए कहा कि उनके पास सामग्री की कोई कमी नहीं है। उनकी लिखने की शैली पर भी बात की।