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देश में उच्च शिक्षा कड़ी चुनौती: प्रणब

By Edited By: Published: Tue, 02 Sep 2014 05:22 AM (IST)Updated: Tue, 02 Sep 2014 01:51 AM (IST)
देश में उच्च शिक्षा कड़ी चुनौती: प्रणब

जम्मू [सतनाम सिंह]। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि यह अफसोस की बात है कि देश का कोई भी विश्वविद्यालय दुनिया के पहले 200 सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में अपना स्थान नहीं बना पाया है। उन्होंने कहा कि फिजिक्स में देश को पिछले 83 वर्षों से कोई नोबल पुरस्कार नहीं मिला है।

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राष्ट्रपति ने कहा कि देश में उच्च शिक्षा कड़ी चुनौती का सामना कर रही है। उन्होंने अध्यापकों से शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने को कहा। राष्ट्रपति सोमवार को जम्मू विश्वविद्यालय के 14वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित कर रहे थे।

राष्ट्रपति ने कहा कि देश में 723 विश्वविद्यालय, 35 हजार डिग्री कॉलेज, 16 आइआइटी, कई मैनेजमेंट के इंस्टीट्यूट व हजारों पालीटेक्निक कॉलेज हैं। अफसोस की बात यह है कि विश्व के पहले दो सौ सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षण संस्थानों में देश का कोई भी संस्थान अपनी जगह नहीं बना पाया। हमें शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर करना होगा। राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों को खोज के क्षेत्र में अग्रणी होकर इंडस्ट्री व सरकार के साथ सहयोग करना चाहिए। यह जरूरी है कि विश्वविद्यालय ऐसा माहौल तैयार करें, जिसमें विद्यार्थियों व अध्यापकों के बीच बेहतर समन्वय बने।

उन्होंने कहा कि छह बीसी से लेकर 1200 एडी तक देश ने शिक्षा में विश्व का नेतृत्व किया। राष्ट्रपति ने अम‌र्त्यसेन, हर गोबिंद खुराना, चंद्र शेखर को विभिन्न फील्ड में मिले नोबल पुरस्कार का जिक्र करते हुए कहा कि इन्होंने भले ही देश के बाहर काम किया, लेकिन यह भारत की ही उपज हैं। अब ऐसा क्या है कि हम पीछे रह रहे हैं। देश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। योग्य अध्यापक हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देकर विद्यार्थियों को काबिल बनाया जाए, ताकि लक्ष्य को हासिल किया जा सके। कई बार यह बात दुखी करती है कि 1930 में सीवी रमन को फिजिक्स में नोबल पुरस्कार मिला था और 83 वर्ष बीत जाने के बाद आज तक इस क्षेत्र में कोई नोबल पुरस्कार नहीं मिल पाया।

राष्ट्रपति ने कहा कि 12वीं पांच वर्षीय योजना में शिक्षा को प्राथमिकता दी गई और उच्च शिक्षा के विस्तार के लिए राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान शुरू किया गया। विश्वविद्यालय में लचीलापन अपना कर विद्यार्थियों को ढांचागत सुविधाओं का फायदा दिया जाना चाहिए।

जम्मू विश्वविद्यालय के मैनेजमेंट कोर्स के विद्यार्थी को श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय में फिलास्पी का कोर्स करने की अनुमति मिलनी चाहिए। इस तरह के लचीलेपन से विद्यार्थियों को एक ऐसा बेहतर माहौल मिलेगा, जिससे खोज व रिसर्च को बढ़ावा मिलेगा। खोज और उद्यमी विकास को आपस में जोड़ने के पहलुओं का जिक्र करते हुए मुखर्जी ने कहा कि विकास की प्रक्रिया में खोज को अहमियत देने के लिए वर्ष 2010-2020 के दशक को साइंस एंव तकनीक में खोज का दशक घोषित किया गया है। कई आइआइटी और आइआइएम ने रिसर्च में तेजी लाने के लिए इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित किए हैं।

सामूहिक रिसर्च का ढांचा स्थापित करे जम्मू विवि : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर देश में शिक्षा के केंद्र के रूप में उभर रहा है। यहां पर नौ विश्वविद्यालय और तीन सौ से अधिक कॉलेज हैं। टीचिंग व रिसर्च के क्षेत्र में आपसी सहयोग करके विद्यार्थियों को फायदा दिया जाना चाहिए।

उन्होंने जम्मू विवि से कहा कि वह सामूहिक रिसर्च का ढांचा स्थापित करे, ताकि स्कालरों और अध्यापकों को रिसर्च के क्षेत्र में काम करने का मौका मिले। इससे क्षेत्रीय व स्थानीय जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी। इंडस्ट्री व रिसर्च संस्थानों के साथ सहयोग किया जाए। बागवानी, जैविक खेती, पर्यटन, हथकरघा क्षेत्रों पर खास ध्यान केंद्रित किया जाए।

उन्होंने उम्मीद जताई कि विश्वविद्यालय विश्व स्तरीय रिसर्च व खोज की गतिविधियों को बढ़ावा देगा। राष्ट्रपति ने जम्मू विवि में चलाए जा रहे विभिन्न प्रोजेक्ट का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें खुशी हो रही है कि विवि रिसर्च के क्षेत्र में काम कर रहा है। जम्मू विवि ने फरवरी में साइंस कांग्रेस का भी आयोजन किया था।

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'तुम भविष्य की उम्मीद हो। जब तुम कॉलेज से पढ़ाई करके पब्लिक लाइफ में आओगे और देश के गरीब लोगों का नेतृत्व करोगे तो अपनी जिम्मेदारी समझना व निर्वाह करना।'


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