जल संसाधन एवं नियामक प्रबंधन अधिनियम में होगा संशोधन
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : राज्य में लगातार बढ़ रही बिजली खपत को देखते हुए राज्य सरकार ने जल संसाधन एवं नियामक प्रबंधन अधिनियम 2010 में संशोधन का फैसला किया है ताकि वह एनएचपीसी और पीडीसी से वसूले गए जल शुल्क का इस्तेमाल बिजली खरीद के लिए कर सके। यह संशोधन प्रस्ताव सोमवार से शुरू हो रहे राज्य विधानसभा सत्र में लाया जाएगा।
संबंधित अधिकारियों ने बताया कि पीएचई विभाग ने संबंधित अधिनियम में संशोधन के लिए राज्यपाल एनएन वोहरा से एक अध्यादेश पहले ही मंजूर करा लिया है। अब इस अध्यादेश को सत्र में सदन की मंजूर के लिए पेश किया जाएगा।
विदित हो कि जल संसाधन एंव नियामक प्रबंधन अधिनियम 2010 के तहत राज्य सरकार विभिन्न जल स्रोतों का व्यावसायिक अथवा बिजली पैदा करने के लिए इस्तेमाल करने वाली संस्थाओं से जलशुल्क वसूल कर, उसका इस्तेमाल सिर्फ राज्य में बिजली ढांचे में सुधार और बहुउद्देश्यीय नहरों व जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण में ही कर सकती है। अलबत्ता, राज्य के लगातार बिगड़ रही आर्थिक स्थिति के बीच राज्य सरकार खपत के मुताबिक बिजली खरीदने में मुश्किल महसूस कर रही है। इसलिए राज्य सरकार चाहती है कि विभिन्न उपक्रमों से जल प्रबंधन अधिनियम के तहत वसूले गए राजस्व का इस्तेमाल बिजली खरीद के लिए किया जाए और इसके लिए संबंधित अधिनियम में बदलाव जरूरी है।
विधि सचिव मुहम्मद अशरफ मीर ने बताया कि अध्यादेश पहले ही जारी किया जा चुका है। अब सोमवार से शुरू हो रहे सत्र के दौरान सदन में प्रस्तावित संशोधन बिल लाया जाएगा।
पीएचई विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, जल संसाधन एंव नियामक प्रबंधन अधिनियम 2010 में संशोधन का प्रस्ताव राज्य बिजली विभाग की तरफ से ही आया था। बिजली विभाग के अनुसार, राज्य में विभिन्न जलविद्युत परियोजनाओं को चला रहे संगठनों से वसूले जाने वाले राजस्व का इस्तेमाल बिजली खरीदने में भी किया जाए। इससे खपत और आपूर्ति में जो अंतर है, उसे पूर किया जा सकता है।
इस समय राज्य को रोजाना 500 से 600 मेगावाट बिजली की कमी का सामना करना पड़ रहा है।