गुजरात से पहुंचे पांच सौ श्रद्धालु
जागरण संवाददाता, जम्मू : आज से आरंभ हो रही बाबा बुढ्डा अमरनाथ यात्रा में शरीक होने के लिए गुजरात से तकरीबन पांच सौ श्रद्धालु जम्मू पहुंच गए हैं। सुबह सबसे पहले तीन दर्जन श्रद्धालुओं का छोटा दल जम्मू पहुंचा। दोपहर बाद 410 श्रद्धालुओं का बड़ा दल जम्मू रेलवे स्टेशन पहुंचा, जहां प्रदेश बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने इनके माथे पर तिलक लगाकर स्वागत किया। कुछ श्रद्धालु रात को भी पहुंचे। जम्मू पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को यात्री निवास भवन में ठहराया गया है।
यात्रा का उद्घाटन वीरवार शाम को यात्री निवास में ही होगा, जबकि पहला जत्था शुक्रवार को पुंछ के लिए रवाना होगा। यात्रा के उद्घाटन समारोह में भाग लेने व यात्रा को अंतिम रूप देने के लिए विश्व हिंदू परिषद व बजरंग दल की केंद्रीय टीम जम्मू पहुंच गई है। इनमें विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष राघवेंद्र रेड्डी, बाबा बुढ्डा अमरनाथ यात्रा के संयोजक सुरेन्द्र मिश्रा, सह संयोजक मनोज वर्मा व नीरज दोनेरिया के अलावा बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक राजेश पांडे भी शामिल हैं।
बजरंग दल जम्मू-कश्मीर के सह संयोजक राकेश शर्मा ने बताया कि यात्रा के लिए तकरीबन तैयारियां पूरी की ली गई हैं। पहले जत्थे में गुजरात प्रदेश के श्रद्धालुओं को शामिल कराया जाएगा। अब तक पांच सौ से अधिक श्रद्धालु गुजरात से जम्मू पहुंच चुके हैं। इतने ही श्रद्धालु वीरवार को और जम्मू पहुंच जाएंगे।
जम्मू-कश्मीर बजरंग दल के संयोजक नवीन सूदन ने बताया कि अखनूर, सुंदरबनी, मंगला माता, पुंछ व राजौरी में यात्रा के स्वागत के लिए कमेटियां बना दी गई हैं। यात्रा का पड़ाव रात को पुंछ के आश्रम में रखा गया है। पहली अगस्त को रवाना होने वाले पहला जत्था दो अगस्त को लोरन मंडी के राजपुरा में स्थित पवित्र स्थल के दर्शन कर सकेगा।
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बाबा चट्टानी के नाम
से भी जाने जाते हैं
बाबा बुढ्डा अमरनाथ का पवित्र स्थल पुंछ जिले की मंडी तहसील के ग्राम राजपुरा में पुलस्ती नदी के निकट स्थित है। यहां से पीर पंचाल की पहाड़ियां साफ दिखती है।
कहते हैं कि किसी जमाने में जो शिवभक्त बाबा अमरनाथ यात्रा पर नहीं जा सके थे, महादेव ने इसी पुलस्ती नदी के किनारे अपने भक्तजनों को दर्शन दिए थे। वहीं, एक और कथा भी जुड़ी है कि कभी सुंदर लोरन घाटी की महारानी चंद्रिका भी जब बाबा अमरनाथ यात्रा पर नहीं जा पाने के कारण उदास थी तो उनको एक बूढ़े साधू मिले जिन्होंने उनको पुलस्ती नदी के तट पर एक जगह पूजा करने के लिए कहा। महारानी ने ऐसा ही किया। तब वृद्ध श्वेतवर्णीय साधु जहां खड़े थे, वहीं पर धरती में लुप्त हो गए। कहते हैं कि यह साधू स्वयं महादेव ही थे। जब उनके लोप होने के स्थान को खोदा गया तो वहां पर श्वेत मरमरी शिविलिंग स्वरूप चट्टान प्रकट हुई। इस कारण महादेव को बाबा बूढ्डा अमरनाथ, चट्टानी बाबा कहा गया। यहीं पर अब बाबा बूढ्डा अमरनाथ जी का विशाल मंदिर है।