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दुर्लभ पुस्तकों में खंगाला इतिहास

By Edited By: Published: Thu, 24 Apr 2014 02:41 AM (IST)Updated: Thu, 24 Apr 2014 02:41 AM (IST)
दुर्लभ पुस्तकों में खंगाला इतिहास

जागरण संवाददाता, जम्मू : बीस साल का युवा हो या साठ साल का बुजुर्ग, जब जम्मू-कश्मीर के इतिहास को समेटे दुर्लभ पुस्तकें सामने आईं तो हर कोई इन किताबों में खो गया और अपने राज्य के इतिहास को खंगालने लगा। किसी के लिए एतिहासिक घटनाएं महत्वपूर्ण थीं तो कोई इन पुस्तकों में रोचक तथ्यों की तलाश कर रहा था।

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विश्व पुस्तक दिवस पर बुधवार को डायरेक्टरोट ऑफ लाइब्रेरिज एंड रिसर्च की ओर से श्री रणवीर सेंट्रल लाइब्रेरी में पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस प्रदर्शनी में 17वीं-18वीं सदी की करीब दो सौ दुर्लभ पुस्तकों के अलावा महाराजा प्रताप सिंह, अमर सिंह और महाराजा हरि सिंह के बचपन की फोटो एलबम, कई धार्मिक ग्रंथ एवं पांडुलिपियां, प्रिंस ऑफ वेल्स के जम्मू दौरे, लद्दाख एवं दूसरे क्षेत्र की संस्कृति को दर्शाती एलबम लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रही। प्रदर्शनी में आए युवाओं का कहना था कि प्रिंस ऑफ वेल्स एवं पि्रंसेस के जम्मू दौरे को दर्शाती एलबम में जम्मू शहर की खूबसूरती देखने वाली है।

वहीं, यूनिवर्सिटी से आए स्कालर अविनाश गुप्ता का कहना था कि रेफरेंस बुक और एतिहासिक किताबों में इस लाइब्रेरी का कोई मुकाबला नहीं है। उन्हें यह भी पता चला कि यह दुर्लभ किताबें अब इंटरनेट पर भी उपलब्ध हो पाएंगी, यकीनन इससे अब दुनियाभर से लोग इन दुर्लभ पुस्तकों का लाभ ले सकते हैं।

1867 में संस्कृत में लिखी गई कल्हन की राजतरंगिणी और स्टीन द्वारा लिखा गया उसका अंग्रेजी संस्करण, 1819 में प्रकाशित महाभारत, 1893 में सर रोपर द्वारा भारत पर लिखी गई पुस्तकें, 1874 में प्रकाशित शाहनामा फिरदोसी सहित अन्य एतिहासिक पुस्तकें बड़ों के साथ-साथ युवाओं को भी लुभाती रहीं। इसके अलावा विश्व विख्यात कलाकृतियों और बसोहली चित्रकला पर एमएस रंधावा की पुस्तकों ने कला प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित किया। रति लीला एवं दूसरी कई किताबें देखकर पुस्तक प्रेमियों ने कहा कि उन्होंने सोचा भी नहीं था कि इस तरह का भी कार्य हुआ है। उन्होंने कहा कि ऐसी किताबों की प्रदर्शनियों का बार-बार आयोजन किया जाना चाहिए।

उधर, श्रीनगर में भी विभाग की ओर से श्री प्रताप लाइब्रेरी म्यूजियम में पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। किताबों में रुचि रखने वाले युवा व बड़ों ने काफी संख्या में प्रदर्शनी में पहुंचकर दुर्लभ किताबों का अध्ययन किया और उनसे महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की।

राज्य की 140 लाइब्रेरी में 70 हजार पुस्तकें : डायरेक्टर लाइब्रेरी एंड रिसर्च अता-उर-रहमान ने बताया कि राज्य में जिला, तहसील और ब्लॉक स्तर पर 140 के करीब लाइब्रेरी हैं, जिनमें करीब 70 हजार पुस्तकें हैं। इस तरह की प्रदर्शनी का मुख्य मकसद युवाओं को राज्य के इतिहास से जोड़ना व इन ज्ञानवर्धक पुस्तकों से अवगत कराना है। उन्होंने बताया कि विभाग ने आठ हजार से अधिक पांडुलिपियां सहेजकर रखी हैं, जो संस्कृत, फार्सी, अरबी और तिब्बतियन भाषा में लिखी गई हैं। इनमें से अधिकतर को डिजिटिलाइज कर लिया गया है। रहमान ने कहा कि हर साल विभाग प्रसिद्ध लेखकों की पुस्तकें खरीदता है। विशेषकर कश्मीरी और डोगरी भाषा में लिखी गई पुस्तकों को। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि आज कल युवा लाइब्रेरी में बैठकर पुस्तक पढ़ने के बजाय इंटरनेट के माध्यम से जानकारी हासिल करने पर विशेष ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि जो ज्ञान लाइब्रेरी में रखी गई इन पुस्तकों से प्राप्त हो सकता है वह इंटरनेट में नहीं मिल सकता। उन्होंने युवाओं को लाइब्रेरी की सदस्यता हासिल करने के लिए जागरूक किया। उन्होंने कहा कि इन पुस्तकों से मिलने वाला ज्ञान भविष्य में उनके लिए सहायक सिद्ध होगा।

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