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भगवान जगन्नाथ के दर्शन मात्र से मिलती है मुक्ति

By Edited By: Published: Thu, 17 Apr 2014 02:59 AM (IST)Updated: Thu, 17 Apr 2014 02:59 AM (IST)
भगवान जगन्नाथ के दर्शन मात्र से मिलती है मुक्ति

जागरण संवाददाता, जम्मू : 'यदि आप भगवान जगन्नाथ, बलदेव एवं सुभद्रा जी को रथ पर आसीन देखते हो और भगवान के समक्ष नृत्य, कीर्तन करते हो तो आपका पुनर्जन्म नहीं होगा। आपको भगवद्धाम की प्राप्ति होगी। इस्कॉन द्वारा विश्व भर के मंदिरों से श्री जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जा रही है। इसी प्रथा को जारी रखते हुए लगातार तीसरे साल मंदिरों के शहर जम्मू में भी रथयात्रा उत्सव मनाया जाएगा।'

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यह जानकारी अध्यात्मिक गुरु श्रील नवयोगेन्द्र स्वामी जी महाराज ने बुधवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुए दी। उन्होंने बताया कि 22 अप्रैल को दोपहर 12 बजे से रेड क्रास भवन कच्ची छावनी से कश्मीर हिल्स रिजार्ट तक भव्य रथ यात्रा निकाली जाएगी। यह रथ यात्रा परेड, शालामार, कनक मंडी, राजेंद्र बाजार, शहीदी चौक, रघुनाथ मंदिर, हरि मार्केट, इंदिरा चौक, गुम्मट, विनायक बाजार, डोगरा चौक, ज्यूल चौक, कैनाल रोड, गेस्ट हाउस तालाब तिल्लो, बोहड़ी से होकर कश्मीर हिल्स रिजार्ट पहुंचकर संपन्न होगी।

इससे एक दिन पूर्व 21 अप्रैल को शाम 5.00 बजे से सिटी पैलेस में महा आरती उत्सव भी होगा, जिसमें भगवान जगन्नाथ को 56 भोग अर्पित किए जाएंगे। रथ यात्रा के अगले दिन 23 अप्रैल को शाम 5.00 बजे ही जम्मू लोचन हाल में विशेष संकीर्तन का आयोजन किया जाएगा। स्वामी जी ने बताया कि प्राचीन काल से उड़ीसा प्रांत में स्थित जगन्नाथ पुरी में प्रति वर्ष रथ यात्रा बड़े हर्षोल्लास से निकाली जाती है। लाखों भक्त एवं तीर्थ यात्री इस उत्सव में शामिल होने के लिए पहुंचते हैं।

उन्होंने कहा कि इस उत्सव में हिन्दू ही नहीं बल्कि मुस्लिम, सिख, ईसाई धर्म से जुड़े लोग भी शामिल होते हैं। आपसी भाईचारे और एकता का प्रतीक यह रथयात्रा उत्सव विश्व के 100 बडे़ शहरों जिनमें डबलिन, बेलफास्ट, लंदन, टोरंटो, बुदापस्ट, कोआलमपुर, न्यूयार्क सहित भारत के विभिन्न राज्यों में मनाया जाता है। जम्मू में भी इस उत्सव को विशेष उत्साह के साथ मनाने की तैयारी की जा रही है। राज्य के विभिन्न राज्यों के अलावा पड़ोसी राज्यों से भी काफी संख्या में श्रद्धालु उत्सव में शामिल होने के लिए पहुंच रहे हैं। इन श्रद्धालुओं के ठहरने व खान-पान की विशेष व्यवस्था की गई है।

भगवान जगन्नाथ के बारे में स्वामी जी ने कहा कि यह श्री कृष्ण का ही अभिन्न स्वरूप है। भगवान इस स्वरूप में कलियुग के जीवों की सेवा स्वीकार करने के लिए अवतरित हुए हैं, जिनका उल्लेख श्रीमदभागवतम, चैतन्य चरितागृत आदि वैदिक ग्रंथो में प्राप्त होता है। संवाददाता सम्मेलन में रथयात्रा कमेटी के प्रधान विक्रम मल्होत्रा, जय केशव दास, राजन भान, बलबीर सिंह सहित अन्य भी उपस्थित रहे।

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