कहीं आप ऐसी पड़ोसन तो नही
मित्रों और रिश्तेदारों से भी अधिक महत्व रखने वाले पड़ोसियों से संबंधों की अपनी एक सीमा होती है, जिसका हर एक को हमेशा ख्याल रखना चाहिए।
किसी ने सही ही कहा है कि अगर आप अपने घर-परिवार से दूर रह रही हैं तो पड़ोसी ही सुख-दुख के हमारे पहले साथी होते हैं। मित्रों और रिश्तेदारों से भी अधिक महत्व रखने वाले पड़ोसियों से संबंधों की अपनी एक सीमा होती है, जिसका हर एक को हमेशा ख्याल रखना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि अधिक आत्मीयता के चक्कर में आप अपने पड़ोसियों के लिए सिरदर्द बन जाएं। रिलेशनशिप एक्सपट्र्स का कहना है कि पड़ोसी तब मुसीबत बन जाते हैं जब वे अपने पड़ोसियों के जीवन में जरूरत से ज्यादा दखल देने लगते हैं। जाने-अनजाने आप भी तो ऐसा नहीं करतीं।
- जब पड़ोसी सो रहे हों, तब भी बिना किसी जरूरत के समय-असमय आप उनके दरवाजे पर दस्तक देने लगती हैं।
- हर समय उनकी गतिविधियों पर चौकीदार की तरह निगाह रखती हैं। भले ही उन बातों से आपका कोई लेना-देना न हो।
- घर के बाहर भी किसी सार्वजनिक स्थान पर मुलाकात हो जाने पर काफी देर तक उनसे बात करने की कोशिश करती हैं। फिर चाहे उनके साथ उनके मेहमान ही क्यों न हों।
- बात करने के दौरान उनके व्यक्तिगत जीवन से जुड़े प्रसंगों के बारे में खोद-खोदकर पूछती हैं।
- पड़ोसी के किचन में बनने वाली हर चीज का स्वाद आपको लेना ही है। यही नहीं घर में कोई वस्तु खत्म होने पर पास की दुकान पर जाने की बजाय पड़ोसी का दरवाजा खटखटा देती हैं।
- पड़ोसी के अखबार और किताबों पर पहला हकआपका होता है। घर में टीवी होने के बावजूद मनपसंद धारावाहिक आप उन्हीं के ड्राइंग रूम में देखती हैं।
- पड़ोसी के घर-परिवार के लोगों की तुलना में आप ज्यादा घुली-मिली रहती हैं।
- भले ही पड़ोसी के घर पर मेहमान आने वाले हों या आ गए हों। इस बात से आपको कोई फर्क नहीं पड़ता।
आप उनके ड्राइंग रूम में डटी रहती हैं।
- किचन संबंधी कोई काम करना हो या सिलाई-कढ़ाई संबंधी कोई काम हो, पड़ोसी का घर ही आपकी प्रयोगशाला होता है।
निहारिका