सुरक्षा और अनूठापन देते ‘प्राइवेसी गेट’ व ‘हिडन डोर’
कभी भव्य द्वार तो कभी स्टाइलिश गेट ट्रेंड में रहे हैं। इस समय प्राइवेसी गेट व हिडन डोर का चलन देखने को मिल रहा है।
घरों के दरवाजों के डिजाइन में समय-समय पर बदलाव किए जाते रहे हैं। कभी भव्य द्वार तो कभी स्टाइलिश गेट
ट्रेंड में रहे हैं। इस समय प्राइवेसी गेट व हिडन डोर का चलन देखने को मिल रहा है। पुरानी सभ्यता में भी इस तरह के गेट मिलते थे। इससे प्रेरणा लेकर डिजाइनर्स ने प्रयोग किया तो फिर से इनका चलन आ गया। विशेषज्ञों के मुताबिक सुरक्षा के साथ अनूठेपन की चाह में लोग इंटीरियर में इस तरह के गेट व दरवाजे बनवा रहे हैं।
क्या होते हैं प्राइवेसी गेट : प्राइवेसी गेट असल में मुख्य द्वार के अलावा घरों के एक हिस्से में बनाए जाने वाले गेट हैं। जिन्हें आवश्यकता पड़ने पर प्रयोग किया जा सके। यह इस तरह से बनाए जा रहे हैं कि किसी गुप्त द्वार से लगते हैं। इन्हें या तो दीवारों के साथ लगाकर उसी रंग में रंगा जाता है ताकि बाहर से देखने पर यह पता न चले कि यह असल में दीवार है या गेट। इसी तरह से अगर घर के बाहर पार्क है तो उसकी र्फेंंसग को गेट का रूप दे दिया जाता है, जो देखने में साधारण र्फेंंसग लगता है लेकिन उसके एक हिस्से में गेट होता है।
सुरक्षा का ध्यान : हिडन डोर व प्राइवेसी दरवाजे सुरक्षा उपकरणों से लैस किए जा रहे हैं। इन दरवाजों पर सीसीटीवी व वाइस सेंसर आदि लगाए जाते हैं। इस बारे में बताते हुए सीम कंपनी की सुरक्षा एक्सपर्ट वीना गुप्ता का कहना है कि लोग इस तरह के दरवाजों व गेट पर सुरक्षा उपकरण इंस्टॉल करवा रहे हैं। इस तरह के गेट आजकल चलन में हैं।
कैसे होते हैं हिडन डोर
‘हिडन डोर’ या गुप्त दरवाजे एक बार फिर से चलन में आए हैं। एक कमरे से दूसरे कमरे में जाने वाले दरवाजे सामान्य नहीं बल्कि थोड़े अनूठे होते हैं। बुक शेल्फ, टीवी शेल्फ, बार या फिर दीवार की ही तरह दिखने वाले दरवाजे बाहर से अलमारी, शोपीस या बार नजर आते हैं। मगर असल में वे दूसरे कमरे में जाने का दरवाजा होते हैं। इस तरह के दरवाजों की मांग बढ़ गई है। लोग इसे अलग अंदाज के लिए पसंद करते हैं।
इस तरह के गेट व डोर्स की मांग शुरू हो गई है। विदेशों से आए इस कांसेप्ट को लोग यहां सराह रहे हैं। छोटे से लेकर बड़े घरों में लोग अब ऐसे दरवाजे लगवा रहे हैं। घरों के अंदर रूम्स को कनेक्ट करने वाले दरवाजों में कई प्रकार के प्रयोग किए जा रहे हैं। उन्हें मल्टीपरपज बनाए जाने के साथ साथ जगह का भी सदुपयोग हो जाता है।-हिना अबरोल, इंटीरियर डिजाइनर, गुरुग्राम
पुराने घरों व हवेलियों में गुप्त द्वार होते थे। ठीक उसी अंदाज में अधिक सुरक्षा उपकरणों से लैस दरवाजे आ गए हैं। लोगों को कुछ नयापन चाहिए होता है। ऐसे में वे अनूठी चीज तलाशते हैं। अब लोगों को फिर से यह कांसेप्ट भाने लगा है तो फिर से इसकी मांग बढ़ गई है।
-गीतांजलि कासलीवाल, इंटीरियर डिजाइनर, दिल्ली
-प्रियंका दुबे मेहता
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