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अगर जीवन बनाना है खुशहाल तो बसंत पंचमी के दिन जरूर करें ये पांच काम

जो समस्‍या पैसों से हल नहीं हो सकती, वो बुद्धि से हो जाती है। इसलिए मां सरस्‍वती के जन्‍मोत्‍सव वाले दिन ये काम करने से जीवन हमेशा खुशियों से भरा रहता है।

By Pratibha Kumari Edited By: Published: Wed, 01 Feb 2017 01:40 PM (IST)Updated: Wed, 01 Feb 2017 06:54 PM (IST)
अगर जीवन बनाना है खुशहाल तो बसंत पंचमी के दिन जरूर करें ये पांच काम
अगर जीवन बनाना है खुशहाल तो बसंत पंचमी के दिन जरूर करें ये पांच काम

बसंत पंचमी को मां सरस्‍वती के जन्‍मोत्‍सव के रूप में मनाया जाता है और इस दिन उनकी पूजा-अर्चना करने का अपना एक विशेष महत्‍व है। मां सरस्‍वती हमें विद्या, बुद्धि प्रदान करती हैं, जिसके जरिए ही जीवन में सफलता और खुशहाली का मार्ग प्रशस्‍त होता है। अगर आपके पास ये चीजें हैं तो आप अपने जीवन में हर तरह की समस्‍याओं को चतुराई से सुलझा सकते हैं और जब किसी तरह की समस्‍याएं नहीं रहेंगी तो जाहिर सी बात है कि आपका जीवन हमेशा खुशहाल बना रहेगा। तो आइए आपको ऐसे पांच काम बताते हैं, जिन्‍हें बसंत पंचमी के दिन जरूर करना चाहिए।

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- बसंत पंचमी के दिन मां सरस्‍वती को खुश करने के लिए पीले वस्‍त्र धारण करें।

- किसी पीली मिठाई जैसे पीले चावल, केसर मिली मिठाई इत्‍यादि का भोग लगाएं।

- मां सरस्‍वती को चंदन का तिलक लगाएं और पीले फूल अर्पित करें।

- इसके बाद भगवान गणेश और मां सरस्‍वती की वंदना करने के लिए मंत्र बोलें- ''वर्णानमर्थसंघानां रसानां छन्‍दसामपि मंगलानां च कर्त्‍तारौ वन्‍दे वाणी विनायकौ।'' इसका अर्थ होता है अक्षरों, अर्थ, समूहों, रसों, छन्‍दों और मंगलवार करने वाली सरस्‍वतीजी और गणेशजी की मैं वंदना करती हूं।

- और अंत में मां सरस्‍वती का एकादशाक्षरा सरस्‍वती मंत्र का जाप करें- ''ओम् ऐं हृीं सरस्वत्यैै नम:।''

यहां हैं मां सरस्‍वती के प्रसिद्ध मंदिर, बसंत पंचमी पर दर्शन करना माना गया है बेहद शुभ

मां सरस्‍वती के जन्‍म को लेकर ये कथा है प्रचलित

पौराणिक वसंत पंचमी की कथा के अनुसार सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्माजी ने मनुष्य योनि की रचना की, परंतु वह अपनी सर्जना से संतुष्ट नहीं थे। तब उन्होंने विष्णु जी से आज्ञा लेकर अपने कमंडल से जल को पृथ्वी पर छिड़क दिया, जिससे पृथ्वी पर कंपन होने लगा और एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी सुंदर स्त्री प्रकट हुई।

जिनके एक हाथ में वीणा एवं दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। वहीं अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। जब इस देवी ने वीणा का मधुर नाद किया तो संसार के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त हो गई, तब ब्रह्माजी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा।

सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण वह संगीत की देवी भी हैं। वसंत पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं। पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने सरस्वती से खुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पचंमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी। इस कारण हिंदू धर्म में वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है।

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