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त्योहार जोड़ते हैं परिवार

आज के युवा स्मार्टफोन में खोकर पूरी दुनिया से भले ही जुड़ रहे हों, लेकिन परिवार के साथ उनकी नजदीकियां कम होती जा रही हैं। पर्व-त्योहार ही हैं, जो आज भी उन्हें घर-परिवार के करीब लाते हैं और रिश्तों के बंधन को मजबूत बनाते हैं...

By Babita kashyapEdited By: Published: Fri, 14 Oct 2016 02:44 PM (IST)Updated: Fri, 14 Oct 2016 03:00 PM (IST)
त्योहार जोड़ते हैं परिवार

दोस्तों, त्योहारों के इन मौसम में आप कहीं पापा-मम्मी के साथ मिलकर घर को सजाने का काम कर रहे हैं, तो कहीं योजना बन रही है कि घर की रसोई में क्या बनेगा और क्या सामान बाहर से लाया जाएगा? कहीं रिश्तेदारों से मिलने-जुलने की रूपरेखा खींच रहे हैं आप, तो कहीं घर से बाहर उत्सव मनाने और पूरे परिवार के साथ घूमने और खाने-पीने के कार्यक्रम को अंतिम रूप दे रहे हैं। आखिर यह त्योहार ही तो हैं जो आपको पूरे परिवार के साथ जोड़ देते हैं। वैसे तो आप दिन भर स्मार्टफोन, लैपटॉप और दोस्तों में व्यस्त रहते हैं, लेकिन त्योहार पर प्रफुल्लित होकर अपने मम्मी-पापा के साथ सारी योजनाएं बनाना आपको अच्छा लगता है।

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फरमाइशें मनपसंद खाने की

'मां आप इस दिवाली पर क्या बना रही हैं? इस बार रसमलाई जरूर बनाइएगा। काफी दिन हो गए आपके हाथ की रसमलाई खाए हुए ...।' 'हां, बेटा जरूर ..., तुमने कहा है तो मैं जरूर बनाऊंगी। काफी दिनों बाद तुमने मेरी बनाई किसी चीज को याद किया है। नहीं तो खाना खाते समय भी मोबाइल तुम्हारे हाथ में होता है।

स्वाद से कोसों दूर चले गए हो तुम ...।' मां नीता और बेटे समर्थ के बीच बातचीत चल रही थी। मां सोच रही थीं कि आज कितने दिनों बाद बेटे ने कोई फरमाइश की है। जो पहले हर दिन एक नई चीज बनाने की जिद करता था, वह एकदम भूल गया है अपने मनपसंद व्यंजनों को। मोबाइल और लैपटॉप ने तो जैसे उसकी परिवार से नजदीकी ही छीन ली है। कम से कम पर्व-त्योहार तो उसे इस तरह की चीजों की याद दिलाते और हमारे करीब लाते हैं। समंदर पार से उड़ान घर की आजकल उच्च शिक्षा या जॉब के लिए बच्चों के देश से बाहर चले जाने का चलन काफी अधिक है, ऐसे में त्योहार ही हैं जो उन्हें परिवार के पास आने और मिल-जुल कर उत्सव मनाने के लिए प्रेरित करते हैं।

गुडग़ांव की एक फाइनेंस कंपनी में सॉफ्टवेयर डेवलपर पूजा बंसल कहती हैं, 'मेरा भाई बाहर है, वह दीपावली पर आएगा और फिर हम सारे कजंस इक_े होकर पुरानी दिल्ली में खाना-पीना करेंगे।' वे मानती हैं कि संस्कृति से जोड़े रखने के लिए एक साथ पर्व-त्योहार मनाना बेहद जरूरी है।

ऑनलाइन शॉपिंग में राय सबकी

वैसे तो दिव्यांश अपनी जरूरत की हर चीज को ऑनलाइन मंगा लेते हैं और मम्मी को बता देते हैं कि क्या ऑर्डर किया, लेकिन त्योहार के समय लैपटॉप कमरों से निकल कर घर की लॉबी में आ जाता है। घर में सबसे पूछते हैं कि क्या खरीदें? ढेरों विकल्प दिखाते हैं और सबकी राय जानते हैं। इतना ही नहीं, मम्मी-पापा और बहन की जरूरतों के साथ-साथ घर के सामान ऑर्डर करने में भी ना नहीं करते हैं। पूरे परिवार के साथ यूं शॉपिंग करना दिव्यांश को बहुत अच्छा लगता है।

फैमिली ग्रुप एक्टिव

जो युवा फैमिली ग्रुप को हल्के में लेते हैं और कभी-कभार ही उसे खोल कर देखते हैं, वे त्योहार पर शुभकामनाओं के संदेश को खुश होकर फॉरवर्ड करते हैं। इतना ही नहीं, मौसी, बुआ का हाल पूछते हैं और मामा के पास जाने का वादा तक कर डालते हैं। आम दिनों में तो इन्हें अपने दोस्तों के दसियों ग्रुप पर चैट करते रहने से फुरसत नहीं मिलती। पुणे में इंजीनियरिंग कर रहे करण बताते हैं, 'त्योहार पर घर जाने के लिए मैं काफी पहले से टिकट करा लेता हूं और फैमिली ग्रुप पर जमकर फोटो शेयर करता हूं। काफी दिनों बाद मुझे एक्टिव देखकर परिवार के सब लोग बहुत खुश होते हैं। मैं भी खूब एंजॉय करता हूं।' यही तो है हमारी संस्कृति जब फेस्टिवल आते हैं, तो इसे सेलिब्रेट करने के लिए पूरा परिवार साथ होता है। सभी मिलकर नये कपड़ों और अच्छे खाने की बात करते हैं। तकनीक की दुनिया और वर्चुअल कनेक्टिविटी के इस दौर में त्योहारों पर घरवालों के नजदीक आना बहुत अच्छा लगता है और यही हमारी भारतीय संस्कृति को दर्शाता है।

-जेनिफर विंगेट, अभिनेत्री

खुद सजाते हैं घर

दिवाली पर मैं, मम्मी और डैडी मिल कर तय करते हैं कि कहां पर कौन-सी लाइट लगानी है। सारा काम हम खुद करते हैं। आजकल लाइटमैन से डेकोरेशन करवाने का प्रचलन है, लेकिन हमें तो भले हल्का करंट लग जाए, लेकिन खुद ही घर सजाते हैं। दिवाली पर सारे पकवान भी हम घर पर मिलकर बनाते हैं। ढोकला से लेकर

रसगुल्ला, केक से लेकर कुकीज तक मैं, मम्मी, डैडी और बहन मिलकर बनाते हैं।

सागरिका देब, पॉप सिंगर

नेटवर्क बंद हो जाने चाहिए

जब लैंडलाइन था, तब भी हम अपने दोस्तों-रिश्तेदारों को त्योहारों की बधाइयां देते ही थे। सब कुछ बहुत बढिय़ा था, लेकिन अब स्मार्टफोन के आने पर युवा ही नहीं, बड़े भी व्हाट्सऐप पर व्यस्त रहते हैं। मैं तो कहता हूं कि फेस्टिवल पर नेटवर्क बंद कर देना चाहिए, बस फोन चालू रहे। ऐसा होगा, तभी परिवार के बीच बॉन्डिंग बढ़ेगी।

-कुशाल टंडन, अभिनेता

त्योहार लाते हैं बहार

- रिश्तों को मजबूत बनाने की अटूट कड़ी होते हैं त्योहार

- जीवन में खुशियां बढ़ाने का श्रेष्ठ माध्यम भी हैं त्योहार

- विरासत और संस्कृति पर गर्व करने का अवसर हैं त्योहार

- उत्साह और उल्लास के खूबसूरत पल लाते हैं त्योहार

यशा माथुर

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