घर बनाएं वास्तु के अनुकूल
विज्ञान पर आधारित वास्तुशास्त्र आपके घर से जुड़ा एक ऐसा अहम पहलू है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अपने लिए नया मकान बनवाते या पुराने फ्लैट को व्यवस्थित करते समय आपको वास्तु के किन नियमों का ध्यान रखना चाहिए, इसकी जानकारी दे रहे हैं वास्तु विशेषज्ञ डॉ. आनंद भारद्वाज।
विज्ञान पर आधारित वास्तुशास्त्र आपके घर से जुड़ा एक ऐसा अहम पहलू है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अपने लिए नया मकान बनवाते या पुराने फ्लैट को व्यवस्थित करते समय आपको वास्तु के किन नियमों का ध्यान रखना चाहिए, इसकी जानकारी दे रहे हैं वास्तु विशेषज्ञ डॉ. आनंद भारद्वाज।
जब बनवाना हो नया मकान
1. घर का मुख्यद्वार यथासंभव पूर्व एवं उलर दिशाओं के पास बनवाएं।
2. लॉबी एवं ड्राइंगरूम पश्चिमोलर में बनवाएं तो यह वास्तु की सर्वोलम स्थिति होगी। अगर ऐसा संभव न हो तो ड्राइंगरूम को पूर्वोलर में भी बनवा सकते हैं।
3. पूजा का कमरा हमेशा घर के पूर्वोलर में ही बनवाएं। इसके विकल्प के रूप में पूर्व एवं उलर दिशा का चयन भी कर सकते हैं।
4. स्टडीरूम को पूर्व, पूर्वोलर, उलर या पश्चिम में बनवाएं।
5. बच्चों का बेडरूम पश्चिम, पश्चिमोलर व दक्षिण दिशा में बनवाएं।
6. परिवार के मुखिया का बेडरूम प्लॉट की दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। 7. किचन के लिए दक्षिण-पूर्व सर्वश्रेष्ठ दिशा मानी जाती है। अगर ऐसा संभव न हो तो इसे पश्चिमोलर दिशा में भी बनवाया जा सकता है।
8. टॉयलेट के लिए पश्चिम, दक्षिण एवं पश्चिमोलर दिशाएं ज्यादा अच्छी रहती हैं। 9. सीढ़ी हमेशा दक्षिण या पश्चिम दिशा में होनी चाहिए। दक्षिण-पश्चिम दिशा भी इसके लिए अच्छी मानी जाती है।
10. पूर्व एवं उलर दिशाएं बालकनी के लिए अनुकूल होती हैं।
11. घर की चारदीवारी बनाते समय ध्यान रखें कि दक्षिण दिशा की दीवार सबसे ऊंची हो और पश्चिम दिशा की दीवार उससे हलकी व नीची रहे।
12. पूर्व एवं उलर दिशाओं की दीवारें सबसे हलकी व नीची होनी चाहिए। कैसा हो फ्लैट का इंटीरियर अगर आप जमीन खरीद कर मकान बनवाने के बजाय फ्लैट में रहना पसंद करते हैं तो उसे व्यवस्थित करते समय आपको इन बातों का ध्यान रखना चाहिए :
1. मुख्यद्वार से मकान में प्रवेश करते ही वहां पर्याप्त मात्रा में प्रकाश की व्यवस्था होनी चाहिए। इसलिए यहां सफेद या पीली स्प्रेड लाइट का इस्तेमाल करें।
2. लॉबी या ड्राइंगरूम के पूर्वोलर दिशा में सुंदर-सा एक्वेरियम या फाउंटेन लगाएं। ड्राइंगरूम, लॉबी या डाइनिंग एरिया में दीवारों पर प्राकृतिक दृश्यों की पेंटिंग्स का प्रयोग करना वास्तु के अनुसार शुभ माना जाता है। जल से संबंधित चित्रों को उलर, उगते सूरज का चित्र पूर्व, पर्वत श्रृंखलाओं का पोट्रेट दक्षिण एवं पेड़-पौधों के सुंदर चित्रों को पश्चिम दिशा की दीवार पर सजाएं।
3. ड्राइंग-डाइनिंग एवं लाबी में यथासंभव वर्गाकार एवं आयताकार टेबल का प्रयोग करें, जिनके कोने हलकी सी गोलाई लिए हुए हों क्योंकि चुभने व तीखे कोने वाले फर्नीचर नकारात्मक ऊर्जा के स्रोत माने जाते हैं। डाइनिंगरूम की टेबल पर सफेद, गुलाबी, नारंगी या हरे रंग के टेबल मैट का प्रयोग करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। डाइनिंग टेबल पर फ्रूट बास्केट रखना चाहिए। इससे स्वास्थ्य एवं प्रसन्नता से संबंधित सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है।
4. घर की पूर्वोलर दिशा में पूजा का स्थान बनाएं व देवी-देवताओं के चित्र व मूर्तियों को पूर्व दिशा की दीवार के साथ रखें, ताकि पूजा करते समय आपका मुख भी पूर्व दिशा की ओर हो। मंदिर पर धातु की परत नहीं चढ़वानी चाहिए। लकड़ी या पत्थर के मंदिर से ही घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है। भगवान का आसन हमारे बैठने के स्थान से कम से कम 6 इंच ऊंचा होना चाहिए व कोई भी मूर्ति 9 इंच से बड़ी नहीं होनी चाहिए।
5. किचन में काले रंग के काउंटर-टॉप का इस्तेमाल न करें। यह ध्यान रखें कि खाना पकाते समय आपका मुख सदा पूर्व दिशा की ओर हो व सिंक उलर दिशा में हो। कैबिनेट व कपबोर्ड आदि रसोई की पश्चिम व दक्षिण दीवारों पर होना चाहिए। वाटर-फिल्टर को उलर या उलर-पूर्वी दिशा की दीवारों के साथ रखें।
6. बेड की आकृति सदा सामान्य होनी चाहिए। आड़े-तिरछे डिजाइन के सिरहाने वाले बेड वास्तु के अनुसार नकारात्मक कोटि के होते हैं। रॉट आयरन की तुलना में लकड़ी का बेड बेहतर होता है। बेडरूम की दीवारें फूलों की पेंटिंग्स से सजाएं। इसके दक्षिण दिशा की दीवार पर लाल रंग के फ्रेम में अपनी फेमिली फोटो लगाएं। इससे परिवार के सदस्यों के संबंधों में मधुरता आती है।
7. बेडरूम में पानी से संबंधित कोई भी शो-पीस, पेंटिंग आदि नहीं होनी चाहिए। साथ ही यहां धातु एवं प्लास्टिक से बनी सजावटी वस्तुओं का प्रयोग कम होना चाहिए।
8. बेडरूम के वार्डरोब को हमेशा पश्चिम या दक्षिण दिशा की दीवारों के साथ इस प्रकार फिक्स करवाएं कि वह सदा पूर्व या उलर दिशा में ही खुले।
9. अपने बेड के पास क्रिस्टल का कोई शोपीस रखें। इससे दांपत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है।
10. बच्चों के बेडरूम में गहरे भूरे, स्लेटी या काले रंग का प्रयोग न करें। लड़कों के कमरे के लिए हलके हरे या नीले और लड़कियों के लिए गुलाबी या बैगनी रंग का इस्तेमाल करना चाहिए। क्रीम या ऑफ व्हॉइट कलर दोनों के लिए अच्छे रहते हैं। बेड कुछ इस प्रकार व्यवस्थित करें कि सोते समय बच्चों का सिर दक्षिण या पूर्व दिशा में हो। स्टडी टेबल हमेशा पूर्व या उलर दिशा में रखने का प्रयास करें।
11. सीढि़यों के नीचे के खाली स्थान में लकड़ी या प्लाइवुड का एनक्लोजर बना कर इस स्थान का प्रयोग शू रैक, झाड़ू, डस्टबीन, पुराने अखबार, गैस सिलेंडर आदि रखने के लिए करें।
12. घर की बालकनी को पौधों से हरा-भरा बनाए रखें और वहां पुराने-फालतू सामान इकट्ठा न करें। कैसे दूर करें वास्तुदोष अगर आपके मकान या फ्लैट में कोई वास्तुदोष है तो चिंतित न हों। घर में बिना तोड़-फोड़ किए भी इन सुझावों को अपना कर आप अपने घर का वास्तुदोष दूर कर सकते हैं :
1. मुख्यद्वार यदि दक्षिण-पश्चिम दिशा में हो तो यह नकारात्मक स्थिति है। इसे दूर करने के लिए मुख्यद्वार की दहलीज के नीचे तांबे या चांदी का एक बारीक-सा तार दबा दें। मुख्यद्वार की दीवार पर भीतर व बाहर की ओर से गणेश जी की प्रतिमा या फोटो इस प्रकार लगाएं कि घर से बाहर निकलते और बाहर से घर के भीतर प्रवेश करते समय गणेश जी के दर्शन हों। 2. यदि किचन घर के दक्षिण-पूर्व दिशा के आग्नेय कोण में न हो कर किसी अन्य दिशा में हो तो उसमें गैस स्टोव पूर्व दिशा की स्लैब पर रखें व वॉटर फिल्टर उलर दिशा में रखें। इसके अलावा घर के दक्षिण-पूर्व के कोने में एक लाल रंग का छोटा-सा बल्ब लगाएं। इससे किचन का यह वास्तुदोष पूरी तरह दूर हो जाता है। 3. यदि मास्टर बेडरूम दक्षिण-पश्चिम दिशा में न होकर किसी अन्य दिशा में हो तो अपने बेड को उसी कमरे की दक्षिण-पश्चिमी दिशा में रखें।
4. यदि पूजा का स्थान मकान के पूर्वोलर में न होकर कहीं और स्थित हो तो वहां पर ही पूजा करते समय अपना मुख पूर्व दिशा में रखें।
5. यदि किचन में पूरी स्लैब ब्लैक ग्रेनाइट की बनी हो तो केवल गैस स्टोव के नीचे किसी दूसरे रंग की मार्बल टाइल रख दें।
6. यदि बेड का सिरहाना उलर दिशा में हो तो रात को सोते समय अपना सिर दक्षिण दिशा की ओर रखें।
7. यदि आपका बेडरूम छोटे साइज का है व ड्रेसिंग टेबल बेड के सामने रखने की मजबूरी हो तो सोने से पहले उसे कपड़े से ढंक दें।
8. यदि घर की कोई अलमारी पहले से ही उलर या पूर्व दिशा की दीवार के साथ बनी हो व उसे हटाना संभव न हो तो उसके दरवाजे पर बाहर की तरफ से शीशा लगवा दें।
9. यदि बच्चों का कमरा पहले से ही मकान के दक्षिण-पश्चिम में बना हो तो उनकी अलमारी और कैबिनेट आदि उस कमरे की दक्षिण-पश्चिम दिशा में रख दें व बच्चों का पलंग उलर या पूर्व दिशा की दीवारों के साथ रखें।
10. यदि टायलेट में नल दक्षिण या पश्चिम दिशा की दीवार पर लगा हो तो उसके बिलकुल सामने पूर्व या उलर की दीवार पर एक शीशा इस प्रकार लगाएं, जिससे इस नल का प्रतिबिंब 24 घंटे सामने की दीवार पर प्रतिबिंबित होता रहे।
11. यदि मकान में टॉयलेट पूर्व या उलर दिशा में बना हो तो इसे गंभीर वास्तुदोष माना जाता है। इस दोष को दूर करने के लिए वहां किसी नान-मेटेलिक प्लेट में थोड़ा सा समुद्री नमक रखें व उसे हर महीने बदलते रहें।
जागरण सखी
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