गुस्से ने प्यार बढ़ाया
मेरी शादी हुए कई साल बीत गए हैं। इन वर्षो में कई बार और काफी नोकझोंक हुई है। यह कुछ समय पहले की बात है इनकी तबियत थोड़ी खराब थी और यह बात-बात पर गुस्सा हो जाते थे। दो दिन तक तो मैं चुप रही, लेकिन तीसरे दिन मुझे भी गुस्सा आ गया और मैंने इनसे बोलना छोड़ दिया। पहले क
मेरी शादी हुए कई साल बीत गए हैं। इन वर्षो में कई बार और काफी नोकझोंक हुई है। यह कुछ समय पहले की बात है इनकी तबियत थोड़ी खराब थी और यह बात-बात पर गुस्सा हो जाते थे। दो दिन तक तो मैं चुप रही, लेकिन तीसरे दिन मुझे भी गुस्सा आ गया और मैंने इनसे बोलना छोड़ दिया। पहले कभी लड़ाई होती थी तो थोड़ी देर बाद ही हम एक-दूसरे से बोलने लगते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। कुछ भी कहना होता तो हम बच्चों का ही सहारा लेते।
एक दिन मुझे पता चला कि इनके चाचा जी की तबियत बहुत खराब है। शाम को जब ये घर आए तो मैं बहुत देर तक तो चुप रही। फिर मुझे लगा कि इन्हें चाचाजी की तबियत की बात बता देनी चाहिए। मैंने इन्हें पूरी बात बताई और फिर घर के काम में लग गई। कुछ देर बाद यह मेरे पास आकर बोले, इतना गुस्सा भी क्या होना। आजकल जिंदगी का क्या भरोसा। इसलिए हमेशा खुशी से रहना चाहिए। इतना कहकर इन्होंने मुझे गले से लगा लिया। थोड़ी देर बाद मेरा बेटा मेरे पास आकर बोला कि आप पापा से बोलने लगी। उसकी बात सुनकर हम सब हंसने लगे।
(लता उप्रेती, इलाहाबाद)