मजदूरों के लिए भटक रहे लोग
संवाद सहयोगी, ¨चतपूर्णी : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस दफा मुकाबला कितना कड़ा है, इसका अंदाजा य
संवाद सहयोगी, ¨चतपूर्णी : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस दफा मुकाबला कितना कड़ा है, इसका अंदाजा यहीं से लगाया जा सकता है कि मतदाताओं को वोट डालने के लिए आने व जाने के टिकट का इंतजाम मुफ्त में किया जा रहा है। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश से संबंधित कामगार व मजदूर इस बार होली से काफी दिन पहले ही घरों को लौट गए हैं। ऐसे में कहीं न कहीं चिंतपूर्णी व आसपास के क्षेत्रों में विशेष रूप से निर्माण कार्यो के लिए कारीगरों व मजदूरों की कमी हो गई है।
उत्तर प्रदेश से यहां बड़ी संख्या में कामगार व मजदूर रहते हैं। देश के सबसे बड़े प्रदेश के सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, लखनऊ, वाराणासी, बुदेलखंड, आजमगढ़ और गोंडा आदि क्षेत्रों के निवासी जीवन की गुजर बसर के लिए यहां अस्थायी रूप से बसेरा करते हैं। पिछले पांच साल में इनकी संख्या में इजाफा हुआ है और ¨चतपूर्णी के नारी, गंगोट, रेही, भरवाई, जल्लो दी बड़ और मिरगू में यह तबका रहता है। वैसे वर्ष के जिस पखवाड़े में होली का त्योहार होता है, तो उत्तर प्रदेश के लोग घरों की तरफ रूख कर लेते हैं, लेकिन इस बार लगभग एक महीने पूर्व कामगार लौट गए हैं। इसका कारण उत्तर प्रदेश चुनाव बताया जा रहा है। यहां मजदूरी करने वाले कई मजदूरों ने बताया कि उन्हें आने व जाने का रेलवे टिकट फ्री में दिया जा रहा है, जिस वजह से वे पहले ही घरों के लिए जा रहे हैं। वैसे भी उत्तर प्रदेश में तीन चरणों का चुनाव समाप्त हो चुका है और कई कामगार वापस जा चुके हैं। वहीं, जिन क्षेत्रों में चार चरणों का चुनाव बचा है, वे भी या तो रवाना हो चुके हैं या वापसी की तैयारी में है। इसी कारण क्षेत्र में कामगारों व मजदूरी करने वालों की भारी दिक्कत हो गई है। भवन निर्माण कार्य करने वाले लोगों को भी इस वजह से असुविधा हो रही है। बधमाणा गांव के रत्न चंद ने बताया कि उन्होंने चार महीनों से घर का निर्माण कार्य शुरू किया है, लेकिन पहले नोटबंदी और अब मजूदर न मिलने से निर्माण कार्य बेहद कछुआ गति से चला हुआ है और इस वजह से उन्हें आर्थिक रूप से भी नुकसान उठाना पड़ा है।