भगवान मांगे पवित्र मन; न तन न धन : अतुल
संवाद सहयोगी, अम्ब : क्षेत्र के सपोरी में श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन परम श्रद्धेय स्वामी अतुल कृष
संवाद सहयोगी, अम्ब : क्षेत्र के सपोरी में श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन परम श्रद्धेय स्वामी अतुल कृष्ण महाराज ने कहा कि दुनिया में कुदरत के लाखों जलवे हैं जिसे आंखों से देख पाना नामुमकिन है। मनुष्य का जीवन मरने के लिए नहीं अपितु तरने के लिए है। यह दुर्लभ शरीर क्रोध के लिए नहीं अपितु बोध के लिए है, हम भोजन के लिए नहीं बल्कि भजन के लिए संसार में आए हैं। संसारिक आशक्ति के लिए हम नहीं पैदा हुए, हमारा जन्म प्रभु की पावन भक्ति के लिए हुआ है। पाप के लिए नहीं, हम इस धरती पर हरि नाम के जाप के लिए आए हैं। जीव के प्रति भगवान की असीम करुणाशीलता है। वह कितना ही अपराध क्यों न करे, करुणामय श्री हरि उसे क्षमा ही करते हैं। भगवान श्रीराम ने विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा के प्रसंग में ताड़का वध तो जरूर किया पर देखा कि इस बेचारी का मेरे सिवाय कल्याण करने वाला कोई नहीं है। अत: प्रभु श्रीराम ने उसे अपने धाम में भेज दिया। भगवान को न तन चाहिए न धन। उन्हें तो बस पवित्र मन चाहिए। कथा में मस्तान ¨सह, सुरेश कुमार शाह, शेर ¨सह, कुलदीप ¨सह, संजीव कुमार, सतदेव, रण ¨सह, जीवन ¨सह, जुल्फी राम, प्रदीप कुमार, वकील ¨सह, रणवीर ¨सह, सीमा देवी, केसरी देवी, पुष्पा देवी, शांति देवी, कांता देवी, अभिलाषा देवी, संसारी देवी, शीला देवी, विमला देवी, कमलेश कुमारी, कंचन देवी, शोभा देवी, सुषमा देवी आदि मौजूद थे।