मौसम ने धोई आलू की फसल
जागरण संवाददाता, ऊना : जिला ऊना में आलू की फसल पर मौसम की मार पड़ी है। जिले में करीब एक हजार हेक्टेयर
जागरण संवाददाता, ऊना : जिला ऊना में आलू की फसल पर मौसम की मार पड़ी है। जिले में करीब एक हजार हेक्टेयर भूमि पर किसानों ने आलू की फसल लगाई थी। लगातार बारिश से आलू की करीब 55 प्रतिशत फसल बर्बाद हो गई है।
ऊना जिला में आलू की फसल बर्बाद होने पर किसानों को लगभग एक करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है। वहीं, कृषि विभाग ने जिले में करीब 70 लाख रुपये की आलू की फसल तबाह होने की रिपोर्ट प्रदेश सरकार को भेजी है। लगातार बारिश से आलू न तो चिप्स बनाने के काबिल होगा और न ही सब्जी में इस्तेमाल हो पाएगा। इस बार इतना पानी बरसा है कि आलू का तना पूरा खत्म हो गया है। वहीं, आलू बीच में से काला पड़ गया है।
तने पर बरपा सड़न रोग का कहर
ऊना जिला में करीब तीन महीने पहले किसानों ने डेढ़ हजार हेक्टेयर भूमि पर आलू की फसल की पैदावार की थी। आलू का मूल्य 30 रुपये से कम होकर छह रुपये किलोग्राम हो गया था। जिले में कई किसानों ने आलू के बीज का आर्डर दे दिया था। इस कारण उन्हें पुरानी फसल निकालते ही नई फसल की बिजाई करनी पड़ी थी। दिसंबर के आखिरी व जनवरी के पहले पखवाड़े में इन किसानों ने आलू की खेती की थी। किसानों को अनुमान था कि इस खेती से कम से कम उनका बीज व दवा का खर्च पूरा हो जाएगा। करीब एक महीने तक आलू की फसल में पानी रहने से तने पर सड़न रोग का कहर बरपा। जनवरी के पहले पखवाडे़ में जिन किसानों ने फसल लगाई थी, उनकी लगभग पूरी फसल बर्बाद हो चुकी है। जमीन के भीतर ही आलू पूरी तरह नष्ट हो गया है।
न बनेंगे चिप्स, न सब्जी
ऊना जिला में आलू की जितनी पैदावार होती है, उसमें पचास फीसद महज हरोली विधानसभा क्षेत्र के किसान उगाते हैं। यहां विशेष किस्म का आलू जो चिप्स बनाने वाली कंपनियों को भी आपूर्ति किया जाता था, वह पूरी तरह नष्ट हो गया है। ऐसे भी किसान थे जिन्होंने पिछले सीजन में पंद्रह से बीस लाख रुपये के आलू का कारोबार किया था। उन लोगों को काफी नुकसान सहना पड़ा है। फसल बर्बाद होने से आलू न तो चिप्स बनाने के काम आएगा और न ही सब्जी में प्रयोग होगा।
दवा छिड़काव का भी नहीं मिला मौका
भदसाली निवासी बलदेव ¨सह व मुकेश जसवाल ने बताया कि उन्होंने एक कंपनी के सहयोग से आलू की फसल लगाई थी। फसल में अभी तक पानी भरा हुआ है। बारिश इतनी हुई है कि उन्हें आलू की फसल से घास निकालने व दवा का छिड़काव करने का भी मौका नहीं मिल पाया है। जो कमाई पिछले सीजन में हुई थी, उससे भी कहीं अधिक उनका नुकसान हो गया है। फसल अब खेत से भी निकालने के लिए जेब से खर्च करना पडे़गा। आलू का कहीं कोई इस्तेमाल नहीं हो पाएगा।
अधिक पानी से खराब होता है तना
इस समय आलू की फसल कच्ची होती है। ऐसे में फसल कुछ हद तक ही बारिश को झेल सकती है। जो दवा व खाद इस्तेमाल की जाती है, वह बारिश अधिक होने पर पानी में मिलकर आलू के तने को खराब कर देती है। ऐसे में नुकसान अधिक होता है।
वीके सिन्हा, कृषि विशेषज्ञ
प्रकृति के कहर का नहीं था अनुमान
ऊना जिला में आलू उत्पादक किसानों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। आलू की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद इसका उत्पादन क्षेत्र में करीब दोगुना बढ़ा है लेकिन प्रकृति का कहर इस तरह बरपेगा, यह किसी को अनुमान नहीं था। ऊना जिला में विभाग ने 70 लाख की फसल के नुकसान का आकलन कर रिपोर्ट सरकार को भेज दी है।
हरबंस राणा, उप निदेशक, कृषि विभाग