ईश्वर को पाने कलिए चित की शांति जरूरी : अतुल
संवाद सूत्र, अम्ब : आचार्य अतुल कृष्ण महाराज ने कहा कि अशांत चित में प्रभु का अनुभव नहीं हो पाता। ईश
संवाद सूत्र, अम्ब : आचार्य अतुल कृष्ण महाराज ने कहा कि अशांत चित में प्रभु का अनुभव नहीं हो पाता। ईश्वरीय अनुभूति के लिए चित की शांति पहली सीढ़ी है। हम परमात्मा में होकर भी उन्हें नहीं जान पाते। सागर के बीच रहकर भी जैसे कोई मछली सागर से अपरिचित ही रह जाती है। हमारे सब ओर परमात्मा ही मौजूद है। जीवन का सबसे बड़ा सत्य यही है। सर्वत्र उपस्थित ईश्वर की खोज के लिए प्रेम का दीपक जलाना होगा। प्रेम का दीया जल उठने पर वह कभी भी बुझता नहीं। वास्तव में ईश्वरीय प्रेम प्रभु की प्राप्ति का द्वार है। श्रीमद्भागवत कथा भक्त और भगवान के सनातन प्रेम के रहस्यों को उजागर करती है।
श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस में अतुल कृष्ण महाराज ने अंब के सूरी में भगवान प्राप्ति को लेकर प्रसंग की व्याख्या की। उन्होंने कहा कि भगवान की कथा में आकर बैठना साक्षात वैकुंठ में बैठने जैसा है। प्रभु की महिमा सुनने से ही श्रोता को ईश्वर के स्वभाव व प्रभाव का ज्ञान होता है। इस अवसर पर सर्वश्री वतन ¨सह, रमेश चंद्र, कर्म ¨सह, मिल्खीराम, रण ¨सह, रंगील ¨सह, भूरा ¨सह, सुभाष चंद, रमेल ¨सह, धनीराम, उधम ¨सह, दलीप ¨सह, प्रकाश चंद्र, जोगिंद्र ¨सह, रोशनलाल, रणजीत ¨सह, पवन कुमार शर्मा, सतीश कुमार, सुरेंद्र ¨सह, अक्षय ठाकुर, अमित कुमार, साहिल ठाकुर, सचिन ठाकुर, सुमित ठाकुर, कशिश ठाकुर, सीमा देवी, सुदर्शना कुमारी, प्रियंका कुमारी, तृप्ता देवी, प्रोमिला ठाकुर आदि मौजूद रहे।