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कहीं खतरनाक साबित न हो अवैध शिकार

जागरण संवाददाता, ऊना : जिले में अवैध शिकार करने वालों पर कोई शिकंजा नहीं कसा जा सका है। कई इलाकों म

By Edited By: Published: Wed, 28 Jan 2015 08:47 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jan 2015 08:47 PM (IST)
कहीं खतरनाक साबित न हो अवैध शिकार

जागरण संवाददाता, ऊना : जिले में अवैध शिकार करने वालों पर कोई शिकंजा नहीं कसा जा सका है। कई इलाकों में इन दिनों अवैध शिकार करने वाले दनदना रहे हैं। खासकर सरकारी अवकाश के रोज ऐसे शिकारी जंगलों को छानते हैं और जानवरों पर निशाना साधते हैं। गलती से निशाना चूका तो कोई बेकसूर इन्सान भी उनका शिकार बन सकता है।

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'दैनिक जागरण' ने जिले में अवैध शिकार के आंकडे़ एकत्रित किए तो जाहिर हुआ कि अवैध शिकार के लिए शिकारी सरकारी अवकाश का इंतजार करते हैं। जिले में ऐसे खतरनाक शिकार से कई लोगों की जान भी चली गई है। अभी तक किसी भी शिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाई है और न ही उनका पता चल पाया है। कुटलैहड़ और चिंतपूर्णी इलाके में तो शिकार कुछ लोगों का शौक बन चुका है। यहां ऐसे दुर्लभ पक्षी भी निशाने पर रहते हैं, जो गिने-चुने बचे हैं।

जागरण टीम ने चिंतपूर्णी रेंज और सोलहसिंगी धार रेंज में करीब चार स्थानों पर अवैध शिकार में लोगों के समूह देखे। चिंतपूर्णी रेंज में सोहरी-टकोली के जंगलों में शिकारियों के दो समूह शिकार में लगे थे। इसमें ध्योमेश्वर रेंज में करीब दस लोगों का समूह चार बंदूकों के साथ जंगल को छानकर जानवरों की तलाश में जुटा था। चड़ोली के समीप भी ऐसा ही समूह सक्रिय था, लेकिन इसमें कितने लोग शामिल थे इसका पता नहीं चल पाया। सोमवार को गणतंत्र दिवस पर यह लोग अवैध शिकार पर निकले थे। ध्योमेश्वर महादेव मंदिर के समीप भी गोली चलने की आवाज सुनाई दी और चड़ोली रेंज में भी दो फायर हुए। क्षेत्र के लोगों ने भी खुलासा किया कि छुट्टी के दिन अवैध शिकार होता है।

उधर, सोलहसिंगी धार में हटली-हथलौण के समीप भी एक समूह जंगल में अवैध शिकार के लिए सक्रिय था। कुछ शिकारी जंगल को ऐसे घेरा डाले हुए थे कि अगर कोई अनजान व्यक्ति गलती से भी उस रेंज में होता तो जानवर की तरह गोली का शिकार बनता। ऐसे करीब छह मामले सामने आ चुके हैं। लठियाणी और तनोह के बीच जंगल में जांच की गई तो ऐसे लोग शिकार में लगे थे जो सरकारी महकमे के कर्मचारी हैं। सूत्रों के मुताबिक करीब 12 बजे सासण, तनोह और लठियाणी के करीब दस शिकारी सासण के जंगल में शिकार के लिए घुसे। उन्होंने साढ़े चार घंटों तक जंगल का चप्पा-चप्पा छान दिया। तनोह के समीप शाम पांच बजे चार फायर होने की आवाजें आई। बताया जा रहा है कि जंगल में सुअर का शिकार किया गया। इस बीच जंगल में कुछ ऐसे पक्षी भी गोलियों के निशाने से मरे हुए पाए गए जो दुर्लभ प्रजाति के हैं। कुछ लोग ऐसे जानवरों के मीट की बिक्री भी करते हैं।

'अवैध शिकार करने वालों पर शिकंजा कसने के लिए पुलिस की मदद ली जाएगी। सरकारी अवकाश के रोज जंगलों में जानवरों को निशाना बनाने वाले लोगों पर नजर रखी जाएगी।'

आरके डोगरा वन मंडल अधिकारी ऊना।


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