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शिविरों में जागरूक होंगे पिछड़ी जाति के लोग

ऊना : अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के बारे में लोगों को जागरूक करने

By Edited By: Published: Wed, 28 Jan 2015 08:31 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jan 2015 08:31 PM (IST)
शिविरों में जागरूक होंगे पिछड़ी जाति के लोग

ऊना : अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए जिले के पाचों विधानसभा क्षेत्रों में दो-दो जागरूकता शिविर लगाए जाएंगे। यह जानकारी उपायुक्त अभिषेक जैन ने बुधवार को एसी-एसटी एक्ट के तहत गठित जिलास्तरीय सतर्कता एवं प्रबोधन समिति की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी। उन्होंने बताया कि यह शिविर दो माह में अनुसूचित जाति बाहुल्य इलाकों आयोजित होंगे। इनमें अनुसूचित जाति के परिवारों को अधिनियम के प्रावधानों के बारे में जानकारी दी जाएगी।

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उन्होंने संबंधित विभागों को निर्देश दिए कि अधिनियम 1989 के तहत दर्ज मामलों में जल्द कार्रवाई अमल में लाई जाए, ताकि पीड़ितों को समय पर न्याय मिल सके। जिला में किसी भी शैक्षणिक संस्थान में अनुसूचित जाति/जनजाति के परिवारों से संबंधित बच्चों से भेदभाव का कोई मामला सामने नहीं आया है। उन्होने शिक्षा विभाग के अधिकारियों से कहा कि किसी भी शैक्षणिक संस्थान में भेदभाव का मामला सामने आता है तो संबंधित स्कूल प्रशासन के खिलाफ तुरंत कार्रवाई अमल में लाई जाए।

उन्होंने बताया कि कैलेंडर वर्ष 2014 के दौरान जिला में पुलिस विभाग के पास एससी-एसटी अत्याचार निवारण कानून के तहत जाच के लिए 12 मामले आए। उनमें से तीन में न्यायालय में चालान पेश किया गया, जबकि छह की रिपोर्ट रद व एक मामले से जाच के बाद इस कानून की धारा को हटाया गया। इसी तरह अभियोजन विभाग में नौ मामले दर्ज हुए। इसमें एक मामले में सजा, पांच बरी और तीन शिकायतें वापस ली गई। वहीं जिन मामलों में चालान पेश हुए, उनमें तुरंत राहत राशि जारी की जाए।

उन्होंने बताया कि अजा, जजा लोगों के साथ ऊंची जाति के लोग निंदनीय व्यवहार न करे। इससे संरक्षण के लिए सरकार द्वारा यह कानून बनाया गया है। ऐसे लोगों को खाने-पीने लायक न होने वाली चीजों को उन्हे खाने-पीने के लिए मजबूर करना, उनके पड़ोस में गंदगी फैलाना, गैर-कानूनी ढग से जमीन हथियाना, घर से निकालना, दवाब से बंधुआ मजदूर बनाना, वोट देने से रोकना, महिला को शारीरिक अथवा मानसिक ढग से तंग करना, महिलाओं का शोषण करना, कुएं व बावड़ी के पानी को गंदा करना व उन्हे गाव व घर से निकलने को मजबूर करने इत्यादि पर इस कानून के तहत सजा का प्रावधान है। पीड़ित व्यक्तियों को राहत राशि के रूप में विभिन्न नियमों के तहत 50 हजार से पांच लाख रुपये तक राहत राशि प्रदान की जाती है।

बैठक में पुलिस अधीक्षक अनुपम शर्मा, जिला न्यायवादी नरेश चंद घई, उपनिदेशक प्राथमिक शिक्षा निर्मल रानी, जिला कल्याण अधिकारी शशि बिजलवान, तहसील कल्याण अधिकारी हरोली कुलदीप सिंह व ऊना के सूरज पाठक, नगर परिषद मैहतपुर के रजिंद्र कुमार, सहायक अभियंता पीएस संधु, प्रेमाश्रम से सिस्टर वारसा सहित समिति के अन्य सरकारी व गैर सरकारी सदस्य उपस्थित थे।


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