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संसार का सार है ईश्वर भजन : पुरुषोत्तम

संवाद सहयोगी, ऊना : हरोली क्षेत्र के तहत चंदपुर बाबा रामदास गोशाला चंदपुर परिसर में आचार्य पुरुषोत्त

By Edited By: Published: Fri, 31 Oct 2014 08:53 PM (IST)Updated: Fri, 31 Oct 2014 08:53 PM (IST)
संसार का सार है ईश्वर भजन : पुरुषोत्तम

संवाद सहयोगी, ऊना : हरोली क्षेत्र के तहत चंदपुर बाबा रामदास गोशाला चंदपुर परिसर में आचार्य पुरुषोत्तम महाराज वृंदावन वालों ने श्रीमद्भागवत कथा के दौरान कहा कि श्रीमद्भागवत कथा भगवान की महिमा का महासागर है। हम सभी भाग्यशाली हैं कि यह उत्तम कथा हमारे जीवन को धन्य बना रही है। भगवान से हमारा किसी भी प्रकार से संबंध जुड़ जाए तो मंगल ही मंगल है। वास्तव में संसार का सारतत्व ईश्वर का भजन ही है।

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उनके रूप, गुण, स्वभाव, ऐश्वर्य, लीला एवं धाम में हमारी रुचि जग जाय। प्रभु का तनिक सा भी ध्यान हमारा भाग्य बदलने में समर्थ है। ईश्वर के भजन से हमारी बिखरी हुई शक्तिया संचित होती हैं। भगवान की कथा सुनने से जितना लाभ होता है इतना दूसरे साधनों से नहीं। माधुर्यमय कथा चित्त की वृत्तियों को सहज ही शात कर देती है।

उन्होंने कहा कि चंचल मन रूपी पक्षी को प्रभु की कथा अत्यंत सरलता से वश में कर लेती है। सुनने वाला श्रोता अपना तो भला करता ही है साथ ही साथ उसके पूर्वजों एवं पितरों को भी कथा से बड़ी तृप्ति मिलती है। यदि कुल में एक भी प्रभु भक्त संतान उत्पन्न हो जाए तो वह सारे कुल को अपनी भक्ति के प्रभाव से सद्गति को प्राप्त करा देती है। सत्संगी मनुष्य के कर्म पूजा बन जाते हैं। कथा, सत्संग से ईश्वर के चरणों में हमारा अनुराग दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जाता है।


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