न स्टाफ, न दवाई, कैसे हो ईलाज
संवाद सहयोगी, चिंतपूर्णी : चिंतपूर्णी के धार क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होते नहीं दिख रह
संवाद सहयोगी, चिंतपूर्णी : चिंतपूर्णी के धार क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होते नहीं दिख रहा है। इस क्षेत्र की 80 हजार की आबादी के लिए चिंतपूर्णी व चम्बी के स्वास्थ्य केंद्रों के अलावा खोले गए स्वास्थ्य उपकेंद्र या तो बंद हैं या उनमें स्टाफ व दवाई का अभाव है।
स्वास्थ्य केंद्रों के भवनों का निर्माण व उपकरण तो उपलब्ध हो गए हैं लेकिन चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्टाफ की कमी के कारण ग्रामीणों के इलाज का सपना सच होता दिखाई नहीं दे रहा है। चिंतपूर्णी में खुला चिकित्सालय बड़े शहरों या कस्बों के बराबर की भी चिकित्सा सुविधाएं नहीं जुटा पाया है। स्वास्थ्य सुविधाओं के हाल ग्रामीण क्षेत्रों में तो और बदतर हैं। शीतला मंदिर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बेशक पहले की अपेक्षा स्वास्थ्य सुविधाओं में इजाफा हुआ हो और 108 एंबुलेंस सेवा के विस्तार से मरीजों को अस्पतालों में पहुंचाने में आसानी होती हो लेकिन अस्पताल से रोगी संतुष्ट होकर निकलें, ऐसा भी नहीं दिखता है। इसके अलावा सुदूर गांवों में तो स्थिति और खराब है। गांवों में खुले कई स्वास्थ्य उपकेंद्र बंद हो चुके हैं और जहां कई खुले भी हैं, वहां रस्म अदायगी से ज्यादा कोई काम नहीं हो रहा है। कुछ ऐसा ही हाल आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्रों का नजर आता है जहां पर भी स्टाफ व दवाई का अभाव हर वक्त बना रहता है। इसके अलावा आपातकालीन सुविधाएं न होने से ग्रामीणों को निजी चिकित्सालयों में यहां-वहां धक्के खाने पर मजबूर होना पड़ता है। ऐसे में स्वास्थ्य क्षेत्र में विस्तार समय की आवश्यकता है। यह तभी संभव हो सकता है जब विभाग व सरकार जमीनी स्तर पर काम करे। उधर, स्थानीय सिविल अस्पताल के प्रभारी सुनील शर्मा का कहना है कि स्वास्थ्य सेवाओं का ग्रामीण क्षेत्रों में भी विस्तार किया गया है। विभाग क्षेत्र में आम जनता को स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाने के लिए भरसक प्रयास कर रहा है।