भूमि हस्तांतरित हुई नहीं और करवा दिया योजना का शिलान्यास
संवाद सहयोगी, गगरेट : कागजी घोड़े दौड़ाना किसे कहते हैं, यह जानना है तो गगरेट कस्बे में आएं। विकास कार्यो को अमलीजामा पहनाने के लिए खुद को गंभीर साबित करने के लिए सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बिना जरूरी औपचारिकताएं पूरी किए ही गगरेट के लिए मंजूर मल निकासी योजना का शिलान्यास पत्थर तो मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से रखवा दिया लेकिन करीब सात महीने बीतने के बाद भी इस योजना को धरातल स्तर पर उतारने के लिए काम शुरू नहीं हो पाया है। अगले दो-तीन माह में काम शुरू हो पाए इस पर भी संशय बरकरार ही है। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए जो भूमि चिह्नित की गई है न तो वह अबतक संबंधित महकमे के नाम ट्रांसफर हो पाई है और न ही इस योजना के लिए विभिन्न विभागों से अनापत्ति प्रमाण-पत्र प्राप्त किए जा सके हैं। नगर पंचायत गगरेट का दर्जा हासिल कर चुके गगरेट में मल निकासी योजना को मूर्तरूप दिया जाना है। इसके लिए सरकार द्वारा बकायदा 13.69 करोड़ रुपये का बजट भी स्वीकृत किया है। हालांकि मल निकासी योजना का काम शुरू करवाने से पहले जो औपचारिकताएं पूरी की जानी थीं उस ओर संबंधित महकमे ने ध्यान नहीं दिया और शायद सीएम साहब को खुश करने की नीयत से इस योजना का शिलान्यास करवा दिया। तीन जनवरी को गगरेट दौरे पर आए मुख्यमंत्री ने मल निकासी योजना को गगरेट कस्बे के लिए खास सौगात बताते हुए बकायदा इसका नींव पत्थर रखा। इसके चलते स्थानीय जनता को यह आस बंधी थी कि शीघ्र ही उन्हें इस योजना का लाभ मिल पाएगा लेकिन करीब सात माह बीतने के बाद भी इस योजना का काम शुरू नहीं हो पाया है। बताया जा रहा है जिस भूमि पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाना है वह भूमि ही संबंधित महकमे के नाम ट्रांसफर नहीं हुई है। हालांकि सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग ने कस्बे के पुराना अम्ब रोड पर पड़ती करीब दस कनाल सरकारी भूमि विभाग के नाम ट्रांसफर करने के लिए आवेदन उपायुक्त के पास किया है लेकिन उस फाइल पर अभी कोई निर्णय नहीं हो पाया है। यहां तक कि प्रदूषण नियंत्रण विभाग व अन्य विभागों से उक्त महकमा एनओसी लेने में भी कामयाब नहीं हो पाया है। अभी विभाग ने इस योजना के डिजाइन अप्रूव किए हैं जबकि अभी तक टेंडर प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो पाई है। ऐसे में इस योजना पर काम शुरू होने में लंबा समय लग सकता है। उधर, प्रदेश भाजपा प्रवक्ता प्रवीण शर्मा का कहना है कि प्रदेश सरकार के मंत्री आपसी लड़ाई में फंसे हुए हैं। विकास कार्यो की ओर किसी का ध्यान नहीं है। उधर सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग के सहायक अभियंता एचएस जस्सल का कहना है कि जमीन स्थानांतरित करवाने की प्रक्रिया चल रही है। शीघ्र ही इस योजना के टेंडर आमंत्रित कर काम शुरू करवाया जाएगा। वहीं एसडीएम अशोक चौहान का कहना है कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए भू-हस्तांतरण की फाइल उनके पास पहुंच गई है और शीघ्र ही इस पर कार्रवाई की जाएगी।