विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ काम करेगी सीडीएल
मनमोहन वशिष्ठ, सोलन देशभर में बनने वाली जीवनरक्षक वैक्सीन की गुणवत्ता को जांचने वाली केंद्रीय औ
मनमोहन वशिष्ठ, सोलन
देशभर में बनने वाली जीवनरक्षक वैक्सीन की गुणवत्ता को जांचने वाली केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल) कसौली अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ मिलकर कार्य करेगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने लैब को विश्वस्तरीय बनाने के लिए 30 करोड़ जारी देने की घोषणा की है। लैब डब्ल्यूएचओ के सहायक केंद्र के रूप में कार्य करेगी। इसकी स्थाना ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 के तहत 1993 में हुई है।
केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला कसौली में देशभर से जीवनरक्षक वैक्सीन के सैंपल जांच के लिए आते हैं। सैंपल पास होने के बाद बैच का सर्टिफिकेट सीडीएल कसौली द्वारा जारी होने के बाद ही इन्हें बाजार में उतारा जा सकता है। विदेशों को जाने वाली वैक्सीन को भी पास सर्टिफिकेट सीडीएल द्वारा जारी किया जाता है। विदेशों से आयात होने वाली जीवनरक्षक वैक्सीन यहां जांच के बाद ही बाजार में उतारी जाती हैं। लैब में देशभर से करीब सात हजार सैंपल हर साल जांच के लिए आते हैं। सामान्य वैक्सीन सैंपल जांचने के लिए तीन से चार सप्ताह, जबकि एनिमल टेस्टिंग वाली वैक्सीन में चार से पांच माह का समय लग जाता है। लैब में अब इंटरनेशनल रेफरेंस स्टेंडर्ड के साथ वैक्सीन के कंट्रोल व टेस्टिंग पर कार्य करेगी।
इन वैक्सीन की होती है जांच
सीडीएल में एंटी सिरा, पेंटावेलेन वैक्सीन, बीसीजी, पोलियो, खसरा, रूबैला, टेटनस, रोटा वायरस, एंटी रैबीज वैक्सीन, टायफाइड, निमाकोकल, यलो फीवर, जेई वैक्सीन के साथ विदेशों से ली जाने वाली वैक्सीन रोटा वायरस, डेंगू वैक्सीन, चिकनगुनिया वैक्सीन, एचपीवी आदि की गुणवत्ता को जांचा जाता है।
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केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला कसौली को विश्वस्तरीय बनाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने 30 करोड़ रुपये बजट की घोषणा की है। इसमें क्षमताओं को जांचने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की हाईपावर कमेटी ने दो दिवसीय निरीक्षण के बाद रिपोर्ट तैयार की है, जो मंत्रालय के समक्ष रखी जाएगी। अब लैब डब्ल्यूएचओ के साथ मिलकर कार्य करेगी।
-डॉ. अरुण भारद्वाज, निदेशक सेंट्रल ड्रग्स लैब, कसौली।