ड्रग लाइसेंस लेने में झेलनी पड़ रही दिक्कतें
संवाद सहयोगी, बद्दी : बीबीएन इंड्रस्टीज एसोसिएशन के बाद उद्योग संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) न
संवाद सहयोगी, बद्दी : बीबीएन इंड्रस्टीज एसोसिएशन के बाद उद्योग संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) ने भी बद्दी में स्थापित राज्य स्तरीय ड्रग कंट्रोलर कार्यालय की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। सीआइआइ की हिमाचल इकाई ने लिखित पत्र प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) प्रबोध सक्सेना को भेजकर मामले में शीघ्र हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। उद्योग संगठन के प्रदेश चेयरमैन राजेश साबू ने पत्र के माध्यम से सरकार को अवगत करवाया कि कुछ सालों में फार्मा उद्योग ने राज्य में अथाह विकास किया है और प्रदेश को इसी कारण फार्मा हब भी कहा जाता है। पूरे भारत की 35 फीसदी दवाईयों की आपूर्ति हिमाचल प्रदेश से हो रही है। इतना कुछ होने के बाद अब भी यहा पर इजी टू डू बिजनेस हेयर की पंक्तिया यहा बौनी साबित हो रही है, जिससे देश-विदेश में इसकी छवि धूमिल हो रही है। अब हिमाचल में फार्मा उद्योगों को ड्रग लाइसेंस लेने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और कहा जा रहा है कि इसमें डीसीजीआइ का निर्णय लंबित है। हैरानी की बात है कि अन्य राज्यों में उक्त दवा उत्पादों के फार्मूला को आसानी से अप्रूव किया जा रहा है। वहीं हिमाचल की विसंगितया यह है कि यहा भी कुछ दवा उद्योगों को उक्त प्रोडक्टों को स्वीकृत किया जाता है जबकि दूसरे दवा उद्योगों को धक्केशाही व मनमानी का रवैया अख्तियार करके इसको बनाने की इजाजत नहीं दी जा रही है जोकि चिंताजनक व हास्यास्पद है। संघ ने सुझाव दिया कि समस्त ड्रग लाइसेंस अब आनलाइन किए जाने चाहिए ताकि समान अवसर मिल सके। साथ ही प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) से आग्रह किया है कि उक्त मामले में आवश्यक कार्रवाई करते हुए केंद्र व प्रदेश सरकार को इस संबंध में एक समान पॉलिसी बनानी चाहिए।
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नहीं मिली शिकायत
राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मारवाह ने कहा कि उनके ध्यान में ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है। दवा नियंत्रक कार्यालय से दवाओं के लाइसेंस दिए जा रहे हैं और सभी कार्यो में पूरी पारदर्शिता रखी जाती है।