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जेपी प्रबंधन 26 करोड़ की नहीं कर रहा अदायगी

संवाद सूत्र, दाड़लाघाट : जेपी सीमेंट प्लांट बागा भलग से ढुलान बंद हुए 30 दिन हो चुके हैं, लेकिन जेपी

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Apr 2017 07:25 PM (IST)Updated: Tue, 25 Apr 2017 07:25 PM (IST)
जेपी प्रबंधन 26 करोड़ की नहीं कर रहा अदायगी
जेपी प्रबंधन 26 करोड़ की नहीं कर रहा अदायगी

संवाद सूत्र, दाड़लाघाट : जेपी सीमेंट प्लांट बागा भलग से ढुलान बंद हुए 30 दिन हो चुके हैं, लेकिन जेपी प्रबंधन माल भाड़े के 26 करोड़ की अदायगी को लेकर गंभीर नहीं लग रहा है। शनिवार को अर्की उपमंडल अधिकारी कार्यालय में उद्योग विभाग जिला सोलन, जेपी प्रबंधन, जिला सोलन व बिलासपुर ट्रक ऑपरेटर समन्वय समिति के बीच करीब चार घंटे बैठक चली। बैठक में निदेशक उद्योग विभाग राजेश शर्मा, निदेशक अनुपम कश्यप एसडीएम अर्की एलआर वर्मा, तहसीलदार रवीश चंदेल, एसडीपीओ दाड़लाघाट नरवीर सिंह राठौर, जेपी प्रबंधन से निदेशक इंचार्ज रणविजय ठाकुर, प्लाट इंचार्ज जोगिंद्र शेरू व वाणिज्य अधिकारी विनोद शर्मा व समन्वय समिति से खारसी सभा के दौलत ठाकुर, रोशन लाल, रानी कोटला सभा के प्रेम सिंह, बबलू शर्मा मागल सभा के दीप चंद शर्मा, सुरेंद्र शर्मा, रविकात पाठक, अमर ठाकुर, कैप्टन भक्त राम, सुरजीत, अजीत, तरसेम व लगभग 50 अन्य ट्रक ऑपरेटरों ने भाग लिया। बैठक में जेपी प्रबंधन ने पहले 15 दिन तक 20 करोड़ की अदायगी का प्रस्ताव रखा था, जिसमें 24 अप्रैल से दो मई व आठ मई को 10 करोड़, पाच करोड़ रुपये की अदायगी की जानी थी। दूसरी ओर समन्वय समिति ने पहले हफ्ते में 24 अप्रैल व 29 अप्रैल को 12 करोड़ व आठ करोड़ की अदायगी का प्रस्ताव रखा था, लेकिन जेपी प्रबंधन ने 24 अप्रैल को 10 करोड की अदायगी नहीं की। वहीं, दूसरी ओर निदेशक उद्योग विभाग ने माल भाड़े की पहली किस्त जमा न होने पर शिमला में रखी बैठक स्थगित कर दी।

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गौर रहे कि माल भाड़े की अदायगी न होने के कारण जेपी बागा में लगे 4000 ट्रक खड़े हो गए हैं, क्योंकि इस माल भाड़े की राशि का लगभग 50 फीसद डीजल के लिए पहले ही खर्च कर चुका है। जेपी बागा से पिछले वर्ष लगभग 17 लाख टन क्लींकर व छह लाख टन सीमेंट का उत्पादन हुआ है। आज भी प्लाट में 20000 टन सीमेंट व 100000 टन क्लींकर पड़ा है। धन के अभाव में डीजल न डालने के कारण ट्रकों के पहिये थम चुके हैं। वहीं, दूसरी और जिला सोलन व बिलासपुर के लगभग 3000 परिवार इस आर्थिक बदहाली का शिकार हो चुके हैं। ट्रक ऑपरेटरों का मानना है कि किराये की अदायगी को लेकर इस मर्तबा पक्का इंतजाम करना पड़ेगा, जिससे भविष्य में इस तरह की समस्या न आए।


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