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दूसरों को सलाह, खुद नहीं परवाह

संवाद सहयोगी, परवाणू : परवाणू के साथ लगते ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी बसें ही नियमों को ठेंगा दि

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Mar 2017 05:43 PM (IST)Updated: Thu, 23 Mar 2017 05:43 PM (IST)
दूसरों को सलाह, खुद नहीं परवाह
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संवाद सहयोगी, परवाणू : परवाणू के साथ लगते ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी बसें ही नियमों को ठेंगा दिखा रही हैं और यहा की सड़कों पर चलने वाली हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) की बसों में ही बार-बार ओवरलोडिंग को अंजाम दिया जा रहा है। इसे रोकने के लिए निगम के अधिकारी भी असफल साबित हो रहे हैं। ऐसे में यहा की सड़कों में बार-बार ओवरलोडिंग को अंजाम देने से परिवहन निगम की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। हालाकि निगम के अधिकारियों का मानना है कि परवाणू से प्राथा की ओर जाने वाली बसों में ओवरलोडिंग नहीं होती है और यहा पर केवल दो या तीन किलोमीटर के दायरे में ही बसों में भीड़ होती है। उसके बाद यहा से बसें खाली ही गुजरती हैं लेकिन ऐसे में सवाल यह खड़े हो रहे हैं कि यदि कभी इन दो-तीन किलोमीटर के दायरे में ही कोई बस हादसा होता है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी। क्योंकि परिवहन विभाग के अधिकारी यहा पर बसों में हो रही ओवरलोडिंग को रोकने की बजाय अपनी सफाई देने में लगे हुए हैं।

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परवाणू स्थित निगम के डिपो से चलने वाली परवाणू-प्राथा की बस में ऐसा नजारा फिर देखने को मिला है। इस रूट पर चलने वाली बस में अंदर से तो सवारियों से पूरी तरह से भरी होती है। साथ ही छत पर भी चालकों व परिचालकों की ओर से यात्रियों को बिठाया जाता है। इससे पहले भी इसी रूट पर कई ओवरलोडिंग के मामले सामने आए हैं, जिन पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है और ऐसे में चालक व परिचालकों द्वारा फायदा उठा कर बसों की छत पर सवारियों को बिठा रहे हैं। पिछले वर्ष 2016 में भी यहा के शाशल गाव के समीप ही ओवरलोडिंग व चालक की लापरवाही के चलते एक बस हादसा हुआ था, जिसमें भी कई लोगों की मौत हुई थी, लेकिन इसके बावजूद भी यहा के सड़कों में दौड़ने वाली बसें सबक नहीं ले रही हैं।

परवाणु से प्राथा की ओर जाने वाली बस में दो-तीन किलोमीटर के दायरें में भीड़ होती है। इससे पहले अपने अधिकारियों को भेज कर नीरिक्षण किए गए है, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं पाया गया।

- सुनील सनाढिया, आरएम परवाणु


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