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स्लम ने ऑस्कर भी जीता लेकिन नहीं बदले हालात

सुनील शर्मा, बीबीएन : ऑस्कर विनिंग स्लम डॉग मिल्लेनियर फिल्म ने स्लम के जीवन को रूपहले पर्दे पर उ

By Edited By: Published: Sat, 23 Jul 2016 06:21 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jul 2016 06:21 PM (IST)
स्लम ने ऑस्कर भी जीता लेकिन नहीं बदले हालात

सुनील शर्मा, बीबीएन :

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ऑस्कर विनिंग स्लम डॉग मिल्लेनियर फिल्म ने स्लम के जीवन को रूपहले पर्दे पर उजागर कर करोड़ों तो बटोरे लेकिन आज भी स्लम वही दो वक्त की रोटी को मोहताज हैं। इसका जीता जागता सबूत बीबीएन है। बीबीएन में लाखों की संख्या में अन्य राज्यों के मजबूर रहते हैं। इन्होंने ही बीबीएन को एक आलीशान इमारतों के शहर में तबदील किया, लेकिन स्लम अभी वही झुग्गी झोंपड़ी में भविष्य को खंगालता नजर आ रहा है। देशभर में स्लम ने लाखों इमारतें तैयार कर दी, लेकिन वह आज भी जीवन के उसी पड़ाव पर हैं, जहां उन्हे हर पल जोखिम में रहना है। ऐसा ही उदाहरण गत दिन बद्दी के बिलांवाली में सामने आया, जब मां व बेटी कुदरत के कहर का शिकार हो गई। ऐसा पहली बार नहीं हुआ, जब कुदरत का यह निशाना बने, जब भी कुदरत का कहर टूटता है तो सबसे पहले बस्ती प्रवासियों की ही उजड़ती है।

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औद्योगिक शहर का आधार है प्रवासी :

यह कहना गलत नहीं होगा कि आलीशान औद्योगिक शहर के निर्माण में अन्य राज्यों के मजदूर आधार रहे है। वर्ष 2003 में औद्योगिक पैकेज मिलने के बाद आई उद्योगों की बाढ़ के साथ-साथ ही प्रवासियों ने भी बीबीएन में कदम रखे। अचानक से बीबीएन में निर्मित होने वाली असंख्य इमारतों में मजदूरों ने पसीना बहाया और आज विश्व मानचित्र पर बीबीएन उद्योगों का हब माना जाता है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस जगत में बीबीएन की सरंचना तैयार करने में योगदान देने वाला तबका अभी भी वही जीवन जीने को मजबूर है।

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आपदा का भी बनते हैं निशाना

बीबीएन में जब भी कोई आपदा आती है तो सबसे पहले निशाना असुरक्षित झुग्गियों में रहने वाले मजदूर होते हैं। तेज आंधी तूफान आए तो सबसे पहले कुदरत के प्रकोप का यही निशाना होते है। सरकार के सामने यह पहली बार नहीं होता बल्कि हर बरसातों में यह वाक्य दोहराते है लेकिन सरकार ने कभी यह नहीं सोचा, कि आखिर भी तो इंसान ही है। निजी जमीनों पर इन्हे बसाने वाले भी तो सरकार के ही लोग है। इन्हे कोई सुरक्षित स्थान उपलब्ध नहीं करवाया गया, यह भी सरकार की नाकामी है।

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प्रभावशाली उठा रहे फायदा

बद्दी बरोटीवाला में भू-मालिकों ने अवैध झुग्गी झोंपड़ी बनाकर कमाई का आसान जरिया बनाया गया है। प्रशासन की सख्त हिदायतों के बावजूद लोगों ने निजी जमीनें पट्टे पर अवैध रूप से झुग्गी झोंपड़ियों के लिए दे रखी है और हजारों अन्य राज्य के मजदूर यहां रह रहे हैं। झोंपडियों के लिए न तो बिजली व पानी की कोई व्यवस्था की गई है और न ही आग लगने की स्थिती में फायर के पुख्ता प्रबंध किए गए है। झोंपड़ी में रहने वाले लोगों के लिए पानी की समुचित व्यवस्था न होने पर गंदगी भी फैल रही है। बद्दी बरोटीवाला व नालागढ़ क्षेत्र के तहत करीब पांच हजार से ज्यादा झुग्गियां निजी जमीनों पर है। वहीं कुछ झोंपड़ियां सरकारी जमीन में भी है।

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भवन बनाने के दिए हैं आदेश

बद्दी बरोटीवाला नालागढ़ विकास प्राधिकरण के सीईओ ललित जैन ने कहा कि निजी भू मालिकों को लो कॉस्ट हाउसिंग पॉलिसी के तहत मकान बनाने के निर्देश जारी किए गए हैं। निजी भूमि मालिकों के खिलाफ ऐसा नहीं करने पर अब सख्त कारवाई अमल में लाई जाएगी।

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जमीन मालिक की गिरफ्तारी होगी सुनिश्चित

डीएसपी गौरव सिंह ने कहा कि पुलिस गत दिवस हुए हादसे में निर्माण कर रहे व्यक्ति को गिरफ्तार करेगी, वहीं जमीन मालिक की भी गिरफ्तारी सुनिश्चित की जा रही है।


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