बदहाल सड़कों ने किया मुख्यमंत्री का स्वागत
संवाद सहयोगी, सोलन : सुबाथू पीएचसी के नवनिर्मित भवन के उदघाटन के लिए मंगलवार को सुबाथू पहुंचे प्रदेश
संवाद सहयोगी, सोलन : सुबाथू पीएचसी के नवनिर्मित भवन के उदघाटन के लिए मंगलवार को सुबाथू पहुंचे प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के काफिले का स्वागत सुबाथू छावनी की बदहाल व तालाब बनी सड़कों ने किया। शायद ही कभी मुख्यमंत्री के दौरे के दौरान सड़कों की ऐसी दशा देखने को मिली होगी। मंगलवार को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह सुबाथू में चिर लंबित पीएचसी भवन के उदघाटन के लिए आए थे। इससे पूर्व उन्होंने हाल ही में स्तरोन्न्त किए गए रावमापा कक्कड़हट्टी ्रका शुभारंभ किया। इसके बाद जैसे उनका काफिला सुबाथू में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कन्या के समीप पहुंचा तो सीएम वाहन के आगे चल रही पायलट तो तालाब बनी सड़क से गुजर गई, लेकिन सीएम वाहन के चालक ने तालाब बनी सड़क को देखते हुए गाड़ी रोक दी। उसके बाद वह सीएम के वाहन को धीरे-धीरे निकाल कर ले गया। सीएम की गाड़ी के पीछे-पीछे उपायुक्त सोलन व एसपी सोलन की गाड़ी भी थी। यही हाल ठाकुरद्वारा मंदिर के समीप व स्टेट बैंक आफ इंडिया के समीप भी देखने को मिला। सुबाथू पीएचसी के उदघाटन के बाद जब सड़कों की हालत पर प्रश्न पूछा गया तो मुख्यमंत्री ने कहा कि वह सड़कों की दशा सुधारने के लिए सुबाथू छावनी के कमाडेंट को पत्र लिखेंगे।
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मूलभूत सुविधाओं से वंचित सुबाथू कैंट के लोग
देश के सबसे पुराने कैंट के निवासी किस तरह का जीवन जीने के लिए मजबूर हैं और उन्हें सड़क जैसी मूलभूत सुविधा से भी महरूम रहना पड़ रहा है। विडंबना यह कि सुबाथू छावनी बोर्ड द्वारा छावनी में प्रवेश करने वाले सभी तरह के वाहनों से प्रवेश शुल्क लिया जाता है लेकिन सुविधाओं के नाम पर सड़क में पड़ गड्ढों तक को नहीं भरा जाता है। हल्की सी बारिश के बाद ही सुबाथू की सड़कें तालाब में बदल जाती हैं।
मुख्यमंत्री का काफिला मंगलवार को सुबाथू छावनी की इन्हीं बदहाल, गड्ढों से भरी व तालाब बनी सड़कों पर से गुजरता हुआ उद्घाटन स्थल पर पहुंचा है। लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने स्वयं ही आज क्षेत्र की बदहाल सड़कों को देखा है और उन्हें यह अंदाजा लग गया होगा कि सुबाथू छावनी व आसपास की पंचायतों के ग्रामीण किस तरह से प्रतिदिन इन बदतर सड़कों पर चलते हैं, जबकि छावनी बोर्ड द्वारा सुबाथू में बैरियर लगाकर प्रवेश शुल्क भी लिया जाता है। इससे जहा सुबाथू छावनी प्रशासन व एमईएस की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह खड़े हुए हैं वहीं, छावनी बोर्ड के निर्वाचित छह वार्ड सदस्यों की जनता के प्रति जवाबदेही का भी पता चला है।