छुट्टियों ने रोकी उत्पादन की रफ्तार
संवाद सहयोगी, बद्दी : दीवाली के बाद प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ (बी
संवाद सहयोगी, बद्दी : दीवाली के बाद प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ (बीबीएन) के उद्योगों में उत्पादन की रफ्तार थम गई है। इससे उद्योगपति परेशान हैं। उद्योगों में कार्यरत स्टाफ व श्रमिकों के छुट्टियों से न लौटने के चलते उत्पादन बुरी तरह से ठप हो गया है। वहीं प्राइवेट लेबर न मिल पाने के चलते उद्योगपति परेशान है। औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन जहा देश की पचास फीसद दवा जरूरतों को पूरा करने वाला एशिया का सबसे बड़ा फार्मा हब है वहीं अनेक राष्ट्रीय व बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने बीबीएन में यूनिट लगा रखे है। देश के हर हर राज्य के लोग यहा अजीविका कमा रहे है। दीवाली, उससे अगले दिन विश्वकर्मा व बाद में भैया दूज के चलते एक सप्ताह की छुट्टियों ने बीबीएन की मशीनों के पहिये रोक दिए है। अधिकाश छोटे उद्योगों के साथ मंझोले व बड़े उद्योगों पर इसका व्यापक असर पड़ा है। सूक्ष्म व लघु उद्योग तो इस दौरान बंद रहते है और 24 घटे चलने वाले बड़े उद्योगों चलते रहते थे, लेकिन इस बार स्टाफ व श्रमिकों के छुट्टियों से वापस न पहुचने के चलते स्थिति गंभीर बनी हुई है। उद्योगपतियों को बाजार में भी लेबर नहीं मिल रही, ताकि वैकल्पिक व्यवस्था न होने से उत्पादन ठप है।
बिरला टैक्सटाइल मिल के उपाध्यक्ष आरके शर्मा, वर्धमान के उपाध्यक्ष अश्विनी शर्मा, बीबीएनआइ के अध्यक्ष राजेन्द्र गुलेरिया, महासचिव वाई एस गुलेरिया, लघु उद्योग भारती के राज्य उपाध्यक्ष एनपी कौशिक, सुरेंद्र जैन, डा विक्रम बिंदल, दून चैप्टर के अध्यक्ष राजीव कंसल, गत्ता उद्योग के महासचिव अशोक राणा, दवा उद्योग संघ के अध्यक्ष राजेश गुप्ता, उद्योगपति राजेश बसंल, संजीव शर्मा, अनिल मलिक, सुरेश गर्ग समेत अन्य उद्योगपतियों ने बताया कि एक तो वह पहले ही साठ फीसद लेबर उपस्थिति से काम चला रहे थे और अब त्योहारों ने उद्योगों की कमर तोड़ दी है। कहीं ऑपरेटर नहीं हैं तो कहीं सुपरवाइजर गायब है। कहीं पर माल फीड करने वाले श्रमिक नहीं हैं, ऐसे में उत्पादन प्रभावित होना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि कंपनी द्वारा जो आर्डर लिए है उनको पूरा करना मुश्किल हो रहा है। बिहार, यूपी व व अन्य राज्यों के श्रमिक अगले सप्ताह के अंत तक लौटेंगे। बड़ी कंपनिया जो लगातार चलती हैं श्रमिकों के आभाव में उनके भी हाथ खड़े हो गए हैं। उद्योग जगत चौतरफा मार झेल रहा है और उद्योगपति हताश नजर आ रहे है।