दून में उपचुनाव के तलबगारों को झटका
रणेश राणा, बद्दी
दून के काग्रेस विधायक रामकुमार चौधरी को पंचकूला की जिला सत्र अदालत द्वारा बाइज्जत बरी किए जाने से दून हलके के राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं। उनकेजेल में बंद होने से यहा उप चुनाव के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन अब जब राम को कोर्ट ने बरी कर दिया है, तो स्थानीय काग्रेस व भाजपा दोनों दलों के वे लोग घर बैठने को मजबूर हो गए हैं, जो उपचुनाव लड़ने की सोच रहे थे।
लगभग पौने दो साल से जेल में बंद विधायक के बाहर आने से जहा क्षेत्र का वनवास समाप्त हो गया है वहीं अब राजनीतिक हलचल भी बढ़ेगी। काग्रेस खेमे व पूर्व एमएलए चौधरी लज्जाराम के परिवार में खुशी की लहर है। हलके के कुछ नेताओं को आशा थी कि फैसला राम कुमार के खिलाफ आएगा, इसीलिए वे उपचुनाव की तैयारी में जुट गए थे। हलके से निर्दलीय लड़ चुके कुछ नेता तो पिछले दो माह से मैदान में कूद भी चुके थे और मतदाताओं से संपर्क भी साध रहे थे। राम के बरी होने से दून काग्रेस में जहा नेतृत्व का संकट समाप्त हो गया है वहीं उनके विरोधियों के लिए भी काग्रेस के कपाट बंद हो गए हैं, दूसरी ओर विपक्षी दल भाजपा को भी राहत मिली है क्योंकि अगर उपचुनाव होता तो कोई भी नेता यहा से चुनाव लड़ने की स्थिति में नहीं था।
इस फैसले से एक राजनीतिक झटका आजाद लड़कर तीसरे नंबर पर रहने वाले परमजीत सिंह पम्मी को भी लगा है जो वीरभद्र सिंह के कट्टर समर्थक हैं लेकिन अभी वह काग्रेस पार्टी से बाहर हैं। काग्रेस पार्टी ने पौने दो साल से उनकी एंट्री रोकी हुई है और अब कोर्ट के फैसले के बाद उनके लिए काग्रेस पार्टी के दरवाजे सदा के लिए बंद हो गए हैं। उधर, दून हलके से भाजपाई बागी दर्शन सिंह सैणी को भी 2017 तक इंतजार करना होगा। अब भाजपा उनको लेती है या नहीं यह बात और है। अब यहा से प्रतिनिधि मिल जाने से इलाके में विकास की आस जगी है। अब तक यहां सरकार ने भी विकास में ज्यादा ध्यान नहीं दिया जिससे बीडीओ कार्यालय व कालेज खोलने के मुद्दे अब भी अधर में हैं।