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टमाटर व शिमला मिर्च को लगा झुलसा रोग

By Edited By: Published: Mon, 28 Jul 2014 07:12 PM (IST)Updated: Mon, 28 Jul 2014 07:12 PM (IST)
टमाटर व शिमला मिर्च को लगा झुलसा रोग

जागरण संवाददाता, सोलन : बेमौसमी सब्जी उत्पादन में अग्रणी जिला सोलन सहित सिरमौर व शिमला में लगने वाली प्रमुख नकदी फसलों टमाटर व शिमला मिर्च को इन दिनों धूप की सख्त दरकार है। मौसम न खुलने के कारण यहां के किसान चिंतित होने लगे हैं। मानसून के दौरान हो रही बारिश और हर समय घिरी रहने वाली धुंध की नमी के कारण यहां टमाटर व शिमला मिर्च को झुलसा रोग खूब झुलसा रहा है, जबकि काला धब्बा खेतों में लग रहे फलों को दागी कर रहा है।

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झुलसा रोग लक्षण एवं उपचार

इस क्षेत्र में झुलसा रोग नकदी फसलों की सामान्य बीमारी है, जो हर वर्ष आती है। इसका प्रमुख कारण फसल चक्र न अपनाने की वजह से खेतों में फंफूद का स्थायी घर होना है। नमी से खेतों में फंगल की मात्रा हमेशा बनी रहती है। इससे जो फल व पत्तियां जमीन के साथ छूती है, झुलसा सबसे पहले उन्हें ही अपनी चपेट में लेता है और फिर फलों तक पहुंचता है। विज्ञानियों के मुताबिक मानसून से पहले ही किसानों अपने खेतों में रिडोमिल एमजेड की अढ़ाई ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी मे मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। इसके 10-15 दिन बाद इंडोफिल एम-45 का भी इसी मात्रा में दोहराव करें। बारिश के दौरान छिड़काव में स्टीकर अवश्य मिलाएं ताकि दवा पौधों पर चिपकी रह सके।

काला धब्बा रोग

काला धब्बा रोग दो प्रकार का होता है। इसकी एक किस्म बकाई रॉट है, जो फंफूद रोग है, जबकि दूसरा धब्बा जीवाणु जनित है। बकाई रॉट हिरण की आंख की तरह गोल-गोल घेरे बनाता है, जबकि जीवाणु जनित काला धब्बा चमकदार होता है। किसान इनकी पहचान प्रयोगशाला में सेंपल लेकर करवा सकते हैं। बकाई रॉट के लिए किसान अपने खेतों में इंडोफिल एम-45 को प्रति लीटर पानी में अढ़ाई ग्राम मात्रा मिलाकर छिड़काव करें। जीवाणु जनित धब्बे के लिए इंडोफिल में स्ट्रेप्टोसाइक्लीन की डेढ़ ग्राम मात्रा को 15 लीटर पानी में घोल बनाकर स्प्रे करें।

सावधानियां

खेतों में फसल लगाने से पहले गहरी जुताई करनी चाहिए ताकि जमीन में मिले फंफूद के जीवाणु नष्ट हो सकें।

बरसात के दौरान खेतों में पानी खड़ा न होने दें और उसकी नालियों उचित निकासी करें।

फसल चक्र अपनाना बहुत जरूरी है, क्योंकि रोग मिट्टी व बीजों के माध्यम से भी फैलता है।

खेतों से खरपतवार को समय-समय पर हटाते रहें और गले-सड़े फलों को खेतों से दूर फेंके।

फसल में यदि हो सके तो झांबों की जगह डोरी का इस्तेमाल करें, अन्यथा पौधों को सीधा खड़ा रखने की कोशिश करें।

किसान स्वयं तैयार करें बोर्डएक्स मिश्रण

शिमला मिर्च, टमाटर, फ्रासबीन को विभिन्न रोगों से बचाव के लिए किसान स्वयं दवा (बोर्डएक्स मिश्रण) बनाएं, जो फंफूद रोग, जीवाणु रोगों व छोटे मोटे कीटों के नियंत्रण के लिए भी रामबाण दवा है। यही नहीं इसमें मौजूद चूने से पौधों में कैल्शियम की कमी भी पूरी होती है। यह दवा 4:4:50 के फार्मूले से तैयार की जाती है, जिसमें सौ लीटर घोल तैयार करने के लिए 800 ग्राम नीला थोथा, 800 ग्राम चूना अलग-अलग घोल बनाकर मलमल के कपड़े से छान लें। बाद में छने हुए मिश्रण को सौ लीटर पानी में मिलाकर उसका तुरंत प्रयोग करें।

डॉ. संदीप कंसल, वरिष्ठ वैज्ञानिक पादप रोग, सब्जी विज्ञान विभाग, डॉ. वाइएस परमार विवि, नौणी।


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