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सर्वे में हुआ खुलासा, ईमानदार होते हैं हिमाचल के लोग

ईमानदारी के मामले में राज्यों की फेहरिस्त में दूसरे स्थान पर रहना प्रदेशवासियों के लिए गर्व की बात है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Sat, 29 Apr 2017 11:11 AM (IST)Updated: Sat, 29 Apr 2017 11:31 AM (IST)
सर्वे में हुआ खुलासा, ईमानदार होते हैं हिमाचल के लोग
सर्वे में हुआ खुलासा, ईमानदार होते हैं हिमाचल के लोग

राज्य ब्यूरो, शिमला। पहाड़ी राज्य हिमाचल ईमानदारी के मामले में देश में दूसरे नंबर पर है। सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (सीएमएस) के अध्ययन में यह बात सामने आई है। सर्वेक्षण में प्रदेश के सिर्फ तीन फीसद लोगों ने ही भ्रष्टाचार की बात स्वीकारी। ईमानदारी के मामले में केरल पहले नंबर पर है। हिमाचल के लोगों को सदा ईमानदार माना जाता रहा है। अब सर्वे ने भी इस बात पर मुहर लगाई है कि पहाड़ की तरह ही पहाड़ी लोग भी अपने कर्तव्य का निर्वहन ईमानदारी से करते हैं।

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ईमानदारी के मामले में राज्यों की फेहरिस्त में दूसरे स्थान पर रहना प्रदेशवासियों के लिए गर्व की बात है। हिमाचल के लोग सिर्फ अपनी ईमानदारी के लिए ही नहीं जाने जाते बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी आगे हैं। छोटे से प्रदेश के लोगों ने राजनीति, सिविल सर्विस, खेल, पर्यावरण संरक्षण के अलावा सेना में भर्ती होकर मातृभूमि की रक्षा के लिए अहम भूमिका अदा की है। हिमालय देश के प्रहरी की भूमिका ईमानदारी से निभा रहा है, 1962 के युद्ध को छोड़ दें तो हिमालय का सीना इससे पहले व बाद में शायद ही छलनी हुआ हो, हिमालय की तरह ही हिमाचल के लोगों की पहचान भी इस सर्वेक्षण में सामने आई है।

सीएमएस ने अपने सर्वे में पाया कि हिमाचल सबसे कम भ्रष्ट है। हिमाचल के अलावा केरल और छत्तीसगढ़ को भी सबसे कम भ्रष्ट प्रदेश माना गया है। लोगों के सवाल के आधार पर पाया गया कि हिमाचल में सिर्फ तीन फीसद लोगों को रिश्वत देनी पड़ी। सर्वे में कर्नाटक को सबसे भ्रष्ट प्रदेश माना गया है। इसके बाद आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, जम्मू कश्मीर और पंजाब का नंबर है।

तीन हजार लोगों से राय पर सर्वे

सर्वे में 20 राज्यों के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के तीन हजार लोगों की राय ली गई है। बीते एक साल के दौरान कम से कम एक बार करीब एक तिहाई लोगों को सरकारी काम करवाने के दौरान भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ा। 2005 में इसी तरह की एक स्टडी के दौरान 53 फीसद लोगों ने घूस देने की बात कबूल की थी।

रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017 में 20 राज्यों के 10 सरकारी महकमों में लोगों ने 6,350 करोड़ रुपये घूस के तौर पर दिए जबकि 2005 में यह आंकड़ा 20 हजार 500 करोड़ रुपये था। आधे से ज्यादा लोगों ने यह स्वीकार किया कि नवंबर व दिसंबर 2016 में नोटबंदी के बाद पब्लिक सर्विसेज में भ्रष्टाचार काफी कम हो गया है। सीएमएस के अध्यक्ष एन भास्कर राव ने रिपोर्ट को जारी करते हुए नीति आयोग से भ्रष्टाचार के मामलों में संज्ञान लेने के लिए कहा है। सर्वेक्षण में पुलिस, बिजली, सार्वजनिक वितरण प्रणाली व कुछ अन्य सेवाओं में भ्रष्टाचार को लेकर लोगों ने बात रखी।

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