लो जनाब! अब दोगुना अंडे देगी मुर्गियां
हल्के लाल रंग की यह नस्ल आम मुर्गो से काफी विभिन्न है। इसकी खास बात यह है कि यह दूसरी नस्लों के मुकाबले जल्द बड़ी होती है।
पालमपुर, मुकेश मेहरा। पोल्ट्री व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए अच्छी खबर है। अब मुर्गियां सालाना 80-100 नही बल्कि 150 से 180 अंडे देंगी। चौंकिये मत जनाब! यह बिलकुल सत्य है। इसे साकार किया है कि कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान कॉलेज ने। महाविद्यालय ने अब आम मुर्गियों से दोगुना अंडे देने वाली नस्ल हिम समृद्धि विकसित की है। हल्के लाल रंग की यह नस्ल आम मुर्गो से काफी विभिन्न है। इसकी खास बात यह है कि यह दूसरी नस्लों के मुकाबले जल्द बड़ी होती हैं और अंडे भी सामान्य आकार से बड़े और अधिक होते है।
हिम समृद्धि नस्ल के इन कुक्कटों पर काम 2009-10 में आरंभ हुआ था। इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने 346.88 लाख रुपये 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत विस्तारित की थी। इसका उद्देश्य पहाड़ी क्षेत्रों के ग्रामीणों मे वहां की जलवायु के अनुरूप कुक्कट पालन सुधार को मजबूत कर उनकी आय में वृद्धि करना था। विभाग ने शुरुआत में इस नस्ल को 2016-17 में 450 किसानों को प्रदान किया। नस्ल चंबा व लाहुल-स्पीति जैसे ठंडे क्षेत्रों के किसानों को दी गई। वर्तमान में वैज्ञानिक इनके डीएनए नस्ल के चूजे तैयार कर किसानों को बांटे रहे है।
यूं तैयार हुई नस्ल
प्रोजेक्ट के ङ्क्षप्रसिपल इन्वेस्टीगेशन डॉ. वाइपी ठाकुर और उनके सहयोगी डॉ. वरुण सांख्यान ने बताया कि परियोजना की शुरुआत में राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में बैकयार्ड कुक्कट उत्पादन के लिए सर्वेक्षण किया गया। किसानों से प्राप्त राय के आधार पर अच्छे विकास वाले, रंगदार, जल्द पंख आने वाले, अधिक और भूरे खोल वाले बड़े आकार के अंडे देने वाले और परभक्षियों से बचने में सक्षम मुर्गे-मुर्गियो को प्राथमिकता दी गई। इसके आधार पर अधिक अंडे देने वाली विदेशी नस्ल दाहलेम रेड को यहां लाया गया और प्रजनन विधि के लिए चुनिंदा पक्षियो के साथ रखा गया। इनसे पैदा हुए चूजों का मूल्यांकन किया गया। इसके बाद प्रदेश के देसी नस्ल के मुर्गों को दाहलेम रेड की मुर्गियों के साथ समागम किया गया। इसके बाद पैदा हुए डीएनए का मूल्यांकन हुआ और पहाड़ी क्षेत्र में अधिक अंडे देने वाली इस प्रजाति के बैकयार्ड कुक्कट पालन के लिए किसानों को प्रशिक्षित किया गया।
ये है विशेषताएं
नस्ल की विशेषता सालाना 150 से 180 अंडे देना है। साथ ही लाल भूरा पंखों का रंग, अच्छा विकास, अच्छे से खाना ढूंढऩा व जल्दी अंडे देना है। वजन नर और मादा का क्रमश: 1.750 से 2.20 किग्रा. और 1.500 से 1.750 किग्रा है। यह 18 से 20 सप्ताह के बीच अंडे देना आरंभ कर देती है और इनका आकार भी बड़ा होता है।
सुदृढ़ हो रही आर्थिकी
भरमौर के किसानों राकेश कूपर, सुरेश कपूर, जगन व सुरेश ने बताया कि इस नस्ल की मुर्गियों
के अंडे बड़े होते है और बाजार में इनके अच्छे दाम मिलते है। कहा कि कुक्कट पालन से उनकी
आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है।
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