शिमला के जंगल दहके
गर्मियों का मौसम आते ही जंगलों में आग लगने की घटनाएं शुरू हो गई हैं। रविवार को शिमला के समीपवर्ती जंगलों में करीब 12 जगह आग लग गई। इस वजह से जंगल में लगे बेशकीमती पेड़ पौधों को काफी नुकसान हो गया।
शिमला : गर्मियों का मौसम आते ही जंगलों में आग लगने की घटनाएं शुरू हो गई हैं। रविवार को शिमला के समीपवर्ती जंगलों में करीब 12 जगह आग लग गई। इस वजह से जंगल में लगे बेशकीमती पेड़ पौधों को काफी नुकसान हो गया। इसके अलावा पशुओं के चारे का संकट भी गहरा गया है।
राजधानी के बिल्कुल साथ लगते क्षेत्र में लगी आग से शिमला शहर में रविवार को पूरा दिन चारों तरफ धुआं फैला रहा। एक साथ कई स्थानों पर आग लगने से अग्निशमन विभाग और वन विभाग के कर्मचारियों को कड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ा और वे घटनास्थल पर समय से नहीं पहुंच पाए। इस कारण करोड़ों रुपये की वन संपदा नष्ट हो गई।
वन विभाग के प्रयास नाकाफी
वन विभाग हर साल गर्मियों में आग लगने की घटनाओं पर रोक लगाने और नुकसान को कम से कम करने के लिए विशेष प्रबंध करता है। इसके बावजूद करोड़ों की वन संपदा हर वर्ष नष्ट होती है। रणनीति तैयार होने के बावजूद जंगलों में लग रही आग पर समय रहते काबू नहीं पाया जा रहा है। इसी कारण जंगलों में पेड़ पौधे और जीव जंतु आग लगने की घटनाओं में प्रभावित होते हैं। अग्निशमन विभाग के मालरोड स्थित केंद्र से जब रविवार को कई जगह आग लगने के संबंध में जानकारी मांगी गई तो वहां मौजूद कर्मचारी ने कहा कि उन्हें अभी तक इस संबंध में कोई सूचना नहीं है।
इन स्थानों पर लगी आग
शिमला के साथ लगते क्षेत्र तारादेवी के जंगल में तीन स्थानों पर एक साथ आग लग गई। घनाहट्टी के पनेश में भी चीड़ के जंगल में आग लगने से छोटी नर्सरी पूरी तरह नष्ट हो गई जबकि चीड़ के पेड़ों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। बड़ा गांव में घासनी में आग लगने से लोगों को पशु चारे का संकट सताने लगा है। वहीं मल्याणा में चीड़ के जंगल में आग लगने से 1000 वर्गमीटर के दायरे में जंगल जलकर राख हो गया। राजधानी शिमला के साथ कलैस्टन में बान और चली के जंगल में आग लगी जबकि शड़ोग ढैंडा में आग से काफी नुक्सान हुआ। दिनोंदिन शिमला और आसमान के क्षेत्र में एक साथ कई स्थानों पर आग लगने की घटनाओं में इजाफा हो रहा है।
कर्मचारियों की कमी बनी समस्या
राजधानी शिमला में एक साथ करीब 12 स्थानों में लगी आग के दौरान कर्मचारियों की कमी आड़े आई। अग्निशमन विभाग द्वारा एक बार छह कर्मी भेजने के बाद दूसरी बार भेजने के लिए कर्मचारियों की कमी हो गई। इस कारण घटनास्थल पर आग ने भी विकराल रूप धारण कर लिया और इसे काबू पाने में कम कर्मचारियों को दिक्कत का सामना करना पड़ा।