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भाजपा-कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा दबा नोटा, नेताओं के लिए मतदाताओंं की चेतावनी

हिमाचल की चारों लोकसभा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस को मिले वोट के बाद नोटा तीसरे नंबर पर रहा इसे नेताओं के लिए मतदाताओं की चेतावनी भी समझी जा रही है।

By BabitaEdited By: Published: Sat, 25 May 2019 11:12 AM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 11:12 AM (IST)
भाजपा-कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा दबा नोटा, नेताओं के लिए मतदाताओंं की चेतावनी
भाजपा-कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा दबा नोटा, नेताओं के लिए मतदाताओंं की चेतावनी

शिमला, यादवेन्द्र शर्मा। प्रदेश में इस बार 38.01 लाख लोगों ने मतदान किया। इनमें से 33,008  मतदाताओं ने चुनाव में खड़े किसी भी प्रत्याशी को पसंद नहीं किया और नोटा का बटन दबाया। हैरत की बात यह है कि प्रदेश की चारों लोकसभा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस को मिले वोट के बाद नोटा तीसरे स्थान पर रहा। प्रदेश में हर विधानसभा सीट पर 06 से 17 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों को छोड़ बाकी सभी प्रत्याशियों से ज्यादा मत नोटा को मिले। नोटा का बटन दबाकर लोगों ने साफ संकेत दे दिया है कि नेताओं का मतदाताओं के प्रति रुख अच्छा नहीं रहा तो कभी भी नोटा तीसरे से पहले नंबर पर आ सकता है। यह सभी नेताओं के लिए मतदाताओं की चेतावनी भी समझी जा सकती है।

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प्रदेश में चारों संसदीय सीटों में सबसे अधिक नोटा का बटन कांगडा जिले में दबाया गया। इस सीट पर 11 प्रत्याशी मैदान में थे। यहां नोटा को निर्दलीय सहित अन्य दलों से ज्यादा मत मिले। दूसरे स्थान पर शिमला रहा, जहां छह प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे थे। तीसरे स्थान पर हमीरपुर रहा, जहां पर 11 प्रत्याशी थी। मंडी संसदीय क्षेत्र में कुल 17 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे। यहां भी नोटा तीसरे स्थान पर रहा है। 

कब शुरू हुआ नोटा

नोटा (नन ऑफ द एबव) यानी इनमें से कोई नहीं, का उपयोग पहली बार भारत में 2009 में किया गया था। स्थानीय चुनाव में मतदाताओं को विकल्प देने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य था। भारत निर्वाचन आयोग ने दिसंबर 2013 के विधानसभा चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में नोटा को बटन का विकल्प उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। नोटा बटन 2013 के विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़, मिजोरम और राजस्थान में शुरु हुआ। 2014 से नोटा की व्यवस्था पूरे देश में की गई।

देश में लोकसभा चुनाव में नोटा

तीसरे स्थान पर रहा है। भाजपा और कांग्रेस के अलावा जो भी प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे थे, किसी भी संसदीय सीट में नोटा से ज्यादा मत नहीं ले सके। 

-देवेश कुमार, मुख्य निर्वाचन अधिकारी

चुनाव में तैनात चार हजार कर्मियों ने नहीं डाला वोट प्रदेश के चार हजार से अधिक उन कर्मचारियों ने खुद वोट नहीं डाला, जो सभी से मत डलवा रहे थे। चुनाव ड्यूटी पर तैनात ऐसे कर्मचारियों ने खुद मत का प्रयोग

नहीं किया। इन सभी कर्मचारियों के बैलेट पेपर निर्धारित अवधि के भीतर नहीं मिले। वहीं 33008 नोटा दबाने वालों में से 456 सर्विस वोटर शामिल हैं।

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