आबिद खान को 26 को सुनाई जाएगी सजा
इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आइएसआइएस) के लिए काम करने में दोषी ठहराए गए आबिद खान की सजा पर शनिवार को फैसला नहीं हो सका।
जेएनएन, शिमला: इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आइएसआइएस) के लिए काम करने में दोषी ठहराए गए आबिद खान की सजा पर शनिवार को फैसला नहीं हो सका। शिमला स्थित एनआइए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) की विशेष अदालत में जिरह के दौरान आबिद खान ने कहा कि 'मैं अपराधी नहीं हूं। मैं सीरिया जाना चाहता था, मगर गया नहीं। इसके अतिरिक्त मैं पढ़ाई कर रहा हूं, मेरे मां-बाप बुजुर्ग हैं और मैं अविवाहित हूं। ऐसे में मुझे किसी तरह की कोई सजा न दी जाए।' आबिद की ओर से रखी गई दलीलों को नकारते हुए सरकारी पक्ष ने कहा कि यह व्यक्ति राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल है, लिहाजा इसे सजा मिलनी चाहिए। अदालत ने दोनों पक्षों की ओर से दलीलें सुनीं। इस मामले की सुनवाई सायं पांच बजे तक चलती रही। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया। फैसला बुधवार तक के लिए टाल दिया। अब आबिद की सजा पर फैसला 26 जुलाई को होगा।
अदालत ने आइएसआइएस सदस्य होने के नाते व गैरकानूनी गतिविधियों में संलिप्तता में बेंगलुरु निवासी 23 वर्षीय आबिद खान को 19 जुलाई को दोषी ठहराया था। इसकी सजा पर फैसला 22 जुलाई को तय किया था, लेकिन आज दिनभर चली जिरह के दौरान फैसला सुरक्षित रख लिया गया। अदालत ने आबिद खान को श्जुन्नुद उल-खलीफा हिंद नामक संगठन का सदस्य पाते हुए उसे दोषी ठहराया था। यह संगठन इस्लामी राज्य की विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए काम करता है। आइएसआइएस एक अंतरराष्ट्रीय जिहादी संगठन है, जो अनुचित तरीकों के जरिये खलीफा राज को स्थापित करने के उद्देश्य के साथ विभिन्न देशों में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहा है। इस मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने कुल्लू पुलिस से अपने हाथ लेने के बाद चार्जशीट दायर की थी। एनआइए ने ही इसे गिरफ्तार किया था।
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कब क्या हुआ
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- 17 दिसंबर, 2016 को कुल्लू के बंजार इलाके के सिधवां में आबिद को स्थानीय पुलिस और एनआइए की टीम ने गिरफ्तार किया।
- आबिद खान 7 जनवरी तक कुल्लू में रिमांड पर रहा।
- इसके बाद 7 जनवरी को कोर्ट ने आबिद खान को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा।
- उसके बाद आबिद खान के खिलाफ ट्रायल चला।
- इसके बाद यह केस एनआईए को सौंपा गया था।
- आबिद ने पूछताछ के दौरान भारत में आइएसआइएस की साजिश का बड़ा खुलासा किया था।
- आबिद ने ईसाई बनकर अपना नाम पॉल रखा था। वह सिंधवा के चर्च में रह रहा था।
- इससे पहले वह कुल्लू के मौहल स्थित एक चर्च में भी तीन माह बिता चुका था।