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लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ करेला, जानिये क्या है खासियत

बेल पर जब करेले लगे तो वह हैरान करने वाले थे, क्योकि करेलो का साइज 26 से 29 इंच के बीच था।

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 22 May 2017 11:31 AM (IST)Updated: Tue, 23 May 2017 09:01 AM (IST)
लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ करेला, जानिये क्या है खासियत
लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ करेला, जानिये क्या है खासियत

नूरपुर, संवाद सहयोगी। नूरपुर विकास खंड के तहत पंदरेहड़ पचायत के किसान लाल सिंह समकडिय़ा के उगाए 29 इंच लंबे करेले का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है। इस किसान ने नूरपुर का नाम देशभर  में रोशन कर दिया है। पिछले साल लाल सिह समकडिय़ा ने बगीचे में करेले की बेल लगाई थी। बगीचे के साथ ही उनकी गोशाला स्थित है। 

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इस कारण गोमूत्र  उस करेले की बेल की जड़ों में जाता रहता था। बेल पर जब करेले लगे तो वह हैरान करने वाले थे, क्योकि करेलो का साइज 26 से 29 इंच के बीच था। इतने लबे साइज के करेले इलाके मे आकर्षक का केद्र बन गए। दूर-दूर से लोग लबे करेलो को देखने आने लगे। लाल सिह समकडिय़ा के पुत्र रविंद्र सिह ने इस साइज के करेलों का निरीक्षण करने के लिए जाच्छ स्थित क्षेत्रीय बागवानी अनुसधान केद्र के वैज्ञानिकों से अपील की। वैज्ञानिकों की टीम ने लाल सिह के बगीचे में जाकर निरीक्षण कर उन्हें इतने बड़े करेले के लिए बधाई दी तथा उन्हें परामर्श दिया कि इसे लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड मे दर्ज करवाया जाए। 

रविंद्र सिह ने गुडग़ाव स्थित लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड कार्यालय में सैंपल रूप में करेले पहुंचाए। इसका परिणाम दो दिन पूर्व आया है, जब लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड ने नूरपुर की पदरेहड़ पचायत के किसान लाल सिह समकडिय़ा के बगीचे में पैदा हुए 29 इंच लंबे करेले को लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज कर उन्हें प्रमाणपत्र जारी किया। इस सम्मान से लाल सिह समकडिय़ा का परिवार काफी प्रसन्न है। पदरेहड़ पचायत के प्रधान सिकंदर राणा ने बताया कि लाल सिह समकडिय़ा ने परिश्रम से अपना तथा अपने गाव का नाम बुलंदियों तक पहुचाया है, जिसके लिए वह बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह इन्हें उचित सम्मान देकर प्रोत्साहित करें।

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