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खाने पर इंतजार करती रहीं माताएं, नहीं पहुंचे लाडले

तारा चंद शर्मा, शिमला हर्ष और कर्ण दोनों की माताएं देर शाम तक अपने लाडलों का इंतजार करती रही। उन्ह

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 May 2017 01:01 AM (IST)Updated: Tue, 30 May 2017 01:01 AM (IST)
खाने पर इंतजार करती रहीं माताएं, नहीं पहुंचे लाडले
खाने पर इंतजार करती रहीं माताएं, नहीं पहुंचे लाडले

तारा चंद शर्मा, शिमला

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हर्ष और कर्ण दोनों की माताएं देर शाम तक अपने लाडलों का इंतजार करती रही। उन्हें इस बात का पता ही नहीं था उनकी आंखों के तारे अब इस दुनिया में नहीं रहे। जतोग के पास एक भयानक सड़क हादसे ने दोनों लाल उनसे छीन लिए। अभिभावकों ने दोनों ही माताओं को हर्ष और कर्ण की मौत के बारे में नहीं बताया था, लेकिन बच्चों के घर न पहुंचने से बुरी तरह परेशान थीं। हर्ष और कर्ण दोनों चेचरे भाई थे।

दोनों माताएं अपने बच्चों के आने पर ही एक साथ दोपहर का खाना खाती थीं, लेकिन सोमवार को इसी आस में दरवाजे पर बैठी रही कि उनके दोनों मासूम आ जाएंगे। शाम ढलने पर दोनों को बता दिया गया कि उनके लाडले अब इस दुनिया में नहीं हैं। दोनों बच्चों को को टैक्सी में इसलिए भेजा जाता था कि सुरक्षित स्कूल से घर और घर से स्कूल पहुंच सकें, लेकिन पता नहीं था कि एक दिन यही टैक्सी उनके बच्चों लील लेगी। अब उस घर में हर्ष और कर्ण वापस आ जाओ की चीखें गूंज रही हैं। दोनों बच्चों ने अभी जिंदगी को न तो करीब से देखा था और न समझा था, लेकिन किस्मत के आगे किसी की नहीं चलती। मातम में बदले घर में हर कोई ढांढस बंधाता रहा, लेकिन जो जख्म उन्हें मिला था उसे कोई नहीं भर सकता। सब बस यही कह रहे कि आखिर भगवान ने ऐसा क्यों किया? क्यों नन्हे बच्चों को मौत का ग्रास बनाया?

हर्षके पिता विनोद सेना में सेवारत हैं। अभी छुट्टियां काट कर ही सेना में लोटे थे। देर रात को हर्ष की मौत के बारे में फोन पर सूचना दे दी। जबकि कर्ण के प्रमोद गांव में वेल्डिंग का कार्य करते हैं। दोनों बच्चों के पोस्टमार्टम के बाद शव लेने के लिए प्रमोद और अन्य पड़ोसी ही आए हुए थे।

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बहन प्रिया करती रही हर्ष का इंतजार

हर्ष और उसकी बड़ी बहन प्रिया दोनों डीएवी में ही एक स्कूल में पढ़ते थे। पहले हर्ष को छुट्टी होती थी और नरेश की गाड़ी में घर जाते थे, लेकिन सोमवार को जब हर्ष को गाड़ी स्कूल से लेकर गई तो रास्ते में दुर्घटना का शिकार हो गई। ऐसे में प्रिया टैक्सी का इंतजार कर ही रही थी। इतने में ग्रामीण उसे अपनी गाड़ी में घर ले गए और बताया कि छोटा भाई पहले ही घर पहुंच गया और टैक्सी खराब हो गई। जब प्रिया घर पहुंची तो घर पर हर्ष नहीं था तो उसने अपनी मां से पूछा। लेकिन मां भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई। अब उम्रभर प्रिया को अपने भाई के खोने का दर्द सताता रहेगा। सात अगस्त को रक्षा बंधन होगा, लेकिन इस बार प्रिया ने अपने भाई की कलाई पर राखी बांध ही नहीं पाएगी।

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टैक्सी बनी मौत का कारण

जिस टैक्सी में हर्ष और कर्ण हर रोज स्कूल जाते थे, वही उनकी मौत का कारण भी बन गई है। दोनों एक पंचायत से थे और डीएवी टूटु में पढ़ते थे। हर दिन की तरह कर्ण और हर्ष की मां उनके घर पहुंचने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन शाम के समय उन्हें अस्पताल से फोन आया कि उनके बच्चे घायल हुए हैं। देर शाम तक दोनों माताओं को बच्चों की मौत होने के बारे में जानकारी ही नहीं दी गई थी। जैसे ही पता चला दोनों ही माताएं बेहोश हो गई।


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